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________________ ६५० जीवाभिगमसूत्रे श्वापदविशेषः, "सियालाइ वा श्रृंगाल इतिवा 'बिडालाइवा' विडाल इति वा, स च मार्जारः 'सुणगाइ वा' शुनक इति वा स च श्वा 'कोलसुणगाइ वा कोलशुनक इति वा स च ग्रामस्करः 'कोकतियाइ वा कोकन्तिका, सा या रात्रौ 'को को' शब्द करोति 'लोमडी' इति प्रसिद्धा 'ससगाइवा' शशक इति वा 'खरगोस' 'ससला' इति प्रसिद्धः 'चित्तलाइ वा' चित्रल इति वा, चित्रलः चित्रवर्णो मृगाकारो द्विखुरः पशुविशेषः, 'चिल्लगाइ वा' चिल्लक इति वा-श्वापद पशुविशेषः, एते तत्र भवन्ति किम् ? भगवानाह- 'हंता अत्थि' हन्त, गौतम ! एकोरुक द्वीपे सिंहादयः सन्ति किन्तु 'नो चेव णं ते अण्णमण्णरस तेसिं वा मणुयाणं नैव खलु हैं । 'अस्थि णं भंते ! एगोरुय दीवे दीवे सीहाइ वा वग्याइ वा विगाइ वा दीवियाइ वा अच्छाइ वा परस्सराइ वा तरच्छाइ वा सियालाइ वा, विडालाइ वा सुणगाति वा कोलसुणगाति वा कोकंतियाइवा ससगाति वा, चित्तलाति वा चिल्ललगाति वा हे भदन्त ! एकोसक द्वीप में सिंह होते हैं क्या ? व्याघ्र होते हैं क्या? भेडिया-वृक होते हैं क्या? द्वीपी-चीता होते हैं क्या ? ऋच्छ-भालू-होते हैं क्या ? परासर-गेंडा होता हैं क्या ? तरक्ष-मृग को खाने वाले हिंसक जानवर विशेष-होते हैं क्या ? सियाल होते हैं क्या ? बिडाल होते हैं क्या ? शुनक-कुत्ते-होते हैं क्या ? कोल शुनक-ग्राम सूकर-गंड सूर होते हैं क्या ? रात्रि में कोको' शब्द करने वाली कोकंतिका-लोमडी-होती है क्या ? शशकखरगोशहोते हैं क्या ? चित्रल-चितकाबर जंगली जानवर जो मृग के आकार का दो खुर वाला होता है वे सर्व प्राणि वहां होते हैं क्या ? और चिल्ललकश्वापद पशु विशेष होते हैं क्या ? इसके उत्तर में प्रभुश्री कहते हैंहे गौतम ! 'हंता अस्थि हां, ये सब जानवर वहां होते हैं । परन्तु-'नो 'अस्थि णं भंते ! एगोरूय दीवे दीवे सीहाइ वा, वरधाइवा , विगाइवा, दीवियाइवा , अच्छाइ वा, परस्सराइ वा, तरच्छाइ वा, सियालाइवा, विडालाइवा, सुणगाति वा, कोलसुणगातिवा, कोक तियाइवा, ससगातिवा, चित्तलातिवा, चिल्ललगातिवा,' हे ભગવન એકરૂક દ્વીપમાં સિંહ હોય છે? વાઘ હોય છે? ભેડિયા–અર્થાત નાર હોય છે? ચિત્તાઓ હોય છે? ર છે હોય છે? ગુંડાઓ હોય છે? તરછ અગોને ખાનારક હિંસક પશુ વિશેષ હોય છે? શિયાળિયા હોય છે? બિલાડાઓ હોય છે? કુતરાઓ હોય છે? ભુંડ હોય છે ? રાતમાં “કેકે” એવા શબ્દ કરવાવાળી લાકડી ત્યાં હોય છે? સસલાઓ હોય છે ? ચિત્રલ ચિત કાબર જંગલી જાનવર જે મૃગના આકારનું બે ખરીવાળું હોય છે, તે ત્યાં સર્વપ્રાણિ હોય છે? અને ચિલલક શ્વાપદ પશુ વિશેષ હોય છે? આ પ્રશ્નના ઉત્તરમાં प्रभुश्री हे छ गौतम ! 'हंता अत्थि' । म मा १२॥ त्यां डाय જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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