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________________ प्रमेयद्योतिका टीका प्र.३ उ.३ सू.३९ एकोषकस्थानामाहारादिकम् ___६२७ वानाह-'गोयमा' इत्यादि । 'गोयमा' हे गौतम ! कूडागारसंठिया' कुटाकारसंस्थिताः कूटं-शिखरं तादृशसंस्थानवन्तः तदाकारेण परिणताः वृक्षाः 'पेच्छाघरसंठिया' प्रेक्षागृहसंस्थिताः प्रेक्षागृहवत् संस्थिता:- नाटयशालाकारेण परिणताः 'सत्तागारसंठिया' सत्राकारसंस्थिताः-सत्रं-दानशाला तदाकारपरिणताः 'झय. संठिया' ध्वजसंस्थिता:-ध्वजासंस्थानसंस्थिताः 'थूभसंठिया' स्तूपसंस्थिताः 'तोरण संठिया' तोरण सदृश संस्थानसंस्थिताः, 'गोपुर वेइय चोप्पालगसंठिया' गोपुरवेदिका चोप्पालकसंस्थिताः, तत्र गोपुरं-पुरद्वारम् वेदिका-उपवेशन योग्या भूमिः, चोप्पालक-मत्तवारणं तत्सदृशंसंस्थानेन संस्थिताः 'अट्टालगसंठिया' अट्टालकसंस्थिता: अट्टालक-प्रासादोपरिभागस्तदाकारपरिणताः, 'पासायसंठिया' प्रासादसंस्थिताः-प्रासादो राज्ञो गृहं तत्सदृशाः, 'हम्मतलसंठिया' हर्म्यतलहोते हैं ? उत्तर में प्रभु श्री कहते हे गोयमा ! कूडागार संठिया, पेच्छाघरसंठिया, सत्तागारसंठिया, झयसंठिया, थूमसंठिया, तोरणसंठिया, गोपुरवेइय चोप्पालगसंठिया' हे गौतम ! ये वृक्ष जैसा-आकार गिरिशिखर का होता है ऐसे आकार वाले गोल होते हैं अर्थात् ऐसे वृक्ष सर्वथा स्थिर होते हैं-तथा कोई २ वृक्ष प्रेक्षागृह-रंगशाला के जैसे होते हैं, कोई -कोई वृक्ष छत्र के जैसे आकार वाले होते हैं कोई २ वृक्ष ध्वजा के जैसे आकार वाले होते हैं, कोई कोई वृक्ष स्तूप के जैसे आकार वाले होते हैं, कोई २, वृक्ष तोरण के जैसे आकार वाले होते हैं कोई २, वृक्ष गोपुरनगर के प्रधान द्वार के जैसे आकार वाले होते हैं, कोई २, वृक्ष वेदिका चबूतरी के आकार वाले होते हैं कोई २, वृक्ष चोप्पाल-मत्त हाथी-के आकार वाले होते हैं 'अट्टालगसंठिया, पासादसंठिया, हम्मतलसंठिया, 'गोयमा ! कूड़ागारसंठिया , पेच्छाघरसंठिया , सत्तागारसंठिया, झयसंठिया , थूमसठिया, तोरण संठिया, गोपुरवेइयचोप्पालग संठिया, हे गौतम ! | વૃક્ષે જેવા ગોળ આકાર પર્વતના શિખરને હોય છે. એવા આકારવાળા ગોળ હોય છે. અર્થાત એવા વૃક્ષે સર્વથા સ્થિર હોય છે. તથા કઈ કઈ વૃક્ષ પ્રેક્ષાગૃહ રંગશાળાના જેવા હોય છે. કોઈ કઈ વૃક્ષ છત્રના જેવા આકારવાળા હોય છે. કઈ કઈ વૃક્ષે ધજાના જેવા આકારવાળા હોય છે. કોઈ કોઈ વૃક્ષે તૂપના જેવા આકારવાળા હોય છે. કઈ કઈ વૃક્ષે તારણના જેવા આકારવાળા હોય છે. કઈ કઈ વૃક્ષે ગેપુરનગરના મુખ્ય દ્વારના જેવા આકારવાળા હોય છે. કઈ કઈ વૃક્ષે વેદિકા ચબૂતરીના આકાર જેવા આકારવાળા હોય છે. કઈ કઈ વૃક્ષો ચેપાલ-મત્ત હાથીના જેવા આકાર વાળા હોય છે. 'अट्टालग संठिया, पासाद् संठिया, हम्मतलसंठिया, गवक्ख संठिया, वालग्ग જીવાભિગમસૂત્ર
SR No.006344
Book TitleAgam 14 Upang 03 Jivabhigam Sutra Part 02 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1973
Total Pages918
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_jivajivabhigam
File Size46 MB
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