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________________ औपपातिकसूत्रे जे यावण्णे तहप्पगारा सावजजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कजंति तओ वि पडिविरया जावजीवाए ॥ सू० ६४ ॥ मूलम् से जहानामए अणगारा भवंति- ईरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओ काउं विहरंति ॥ सू०६५॥ तहप्पगारा' ये यावन्तस्तथाप्रकाराः, 'सावज्जजोगोवहिया' सावद्ययोगौपधिकाः-सावद्ययोगाः=सावद्ययोगयुक्ताश्च ते औपधिकाः मायाप्रयोजनाश्चेति तथा, 'परपाणपरियावणकरा' परप्राणपरितापनकराः, 'कम्मंता' कमीशाः व्यापारांशाः ‘कजंति' क्रियन्ते ' तो वि पडिविरया जावज्जीवाए' ततोऽपि प्रतिविरता यावजीवम् ॥ सू.६४॥ टीका-' से जहानामए' इत्यादि। ' से जहानामए अणगारा भवंति ' अथ यथानाम केचित् अनगारा भवन्ति; कीदृशास्तेऽनगाराः ? इत्याह 'ईरियासमिया' ईर्यासहोते हैं, (जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता परपाणपरियावणकरा कज्जति तओ वि पडिविरया जावज्जीवाए) तथा इसी प्रकार के और भी जो सावद्ययोगवाले मायाकषायजनित कार्य हैं कि जिनमें प्राणियों के प्राणों को परिताप जन्य कष्ट भोगना पड़ता है उन सब से ये प्रतिविरत होते हैं । सू. ६४ ॥ ‘से जहानामए' इत्यादि । (से जहानामए अणगारा भवंति) ये जो अनगार होते हैं, वे ( ईरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव निग्गंथं पावयणं पुरओ काउं विहरंति) ईर्यासमिति, भाषा३५, मध, भासा तभ०४ २४थी रहित डाय छे. (जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जजोगोवहिया कम्मंता पर-पाण-परियावण-करा कज्जंति तओ वि पडिविरया. जावज्जीवाए) तथा से प्रधान मीonyy सावधयोmi माया पायनित કાર્ય છે કે જેમાં પ્રાણિયેના પ્રાણોને પરિતાપજનિત કષ્ટ ભોગવવા પડે છે, तेवi wधा आयोथी तमा वि२४ जाय छे. (सू. ६४) ‘से जहानामए ' त्याहि. (से जहानामए अणगारा भवंति) - सनगार राय छ, तमा (ईरियासमिया भासासमिया जाव इणमेव निगथं पावयणं पुरओ काउं विहरंति) ध्यासमिति,
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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