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________________ ६३० औपपातिकसूत्रे पंचाणुव्वयाइं पडिवजंति, पडिवजित्ता बहहिं सीलव्वय-गुणवेरमण-पच्चखाण-पोसहो-ववासेहिं अप्पाणं भावमाणा बहूई वासाइं आउयं पालेंति, पालित्ता भत्तं पञ्चक्खंति, बहुई भत्ताई ततः खलु समुत्पन्नजातिस्मरणाः सन्तः 'सयमेव ' स्वयमेव, ‘पंचाणुव्वयाई' पञ्चाणुव्रतानि 'पडिवजति' प्रतिपद्यन्ते स्वीकुर्वन्ति, 'पडिवज्जित्ता' प्रतिपद्य 'सीलव्ययगुण-विरमण-पच्चक्रवाण-पोसहोववासेहिं' शीलवत-गुण-विरमण-प्रत्याख्यान-पोषधोपवासैः, 'अप्पाणं भावेमाणा' आत्मानं भावयन्तः, 'बहूई वासाई' बहूनि वर्षाणि 'आयुय' आयुष्कं 'पालेति' पालयन्ति, 'पालित्ता' पालयित्वा भत्तं ' भक्तं 'पचक्वंति' प्रत्याख्यान्ति, 'बहूई भत्ताई' बहूनि भक्तानि 'अणसणाए' अनशनेन ‘छे देति' 'तए णं समुप्पण्णजाइसरणा' इत्यादि । (तए णं) तब (समुप्पण्णजाइसरणा समाणा) जातिस्मरणज्ञानयुक्त वे जीव, उस ज्ञान के प्रभाव से (सयमेव) स्वयं ही (पंचाणुव्ययाई) पांच अणुव्रतों के स्वीकार कर लेते हैं। (पडिवज्जित्ता बहूहिं सीलव्यय-गुण-वेरमण पञ्चकवाण-पोसही-चवासेहिं) स्वीकार कर शीलवतों से, गुणवतों से, हिंसादिक पापों के त्याग से, प्रत्याख्यानों से एवं पोषधोपवासों से (अप्पाणं भावेमाणा) अपनी आत्मा को भावित करते हुए (बहूइं वासाई) अनेक वर्षों तक (आउयं पालेंति) आयुष पालते हैं, (पालित्ता) आयुष पालकर वे (भत्तं पञ्चक्खंति) भक्तप्रत्याख्यान करते हैं । (बहूई भत्ताइं अगसगाए छेदेति) अनशन से अनेक भक्तों का छेदन करते हैं, (छेदित्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता कालमासे 'तए णं समुप्पण्णजाइसरणा' त्याहि. (तए णं) त्यारे (समुप्पण्णजाइसरणा समाणा) नति-भ२९ --ज्ञानयुत ते ७१ ये ज्ञानना प्रभार ५3 (सयमेव) पोते ८ (पंचाणुव्वयाई) पांय मानताना स्वी४।२ ४२ से. (पडिवजित्ता बहूहिं सीलव्वय-गुण-वेरमणपच्चक्खाण-पोसहो-ववासेहि) स्वी॥२ ४रीने शीसतोथी, शुशुव्रताथ, हिंसा माहि पापान त्यागथी, प्रत्याज्यानाथी तभ०४ पौषधोपवासोथी (अप्पाणं भावेमाणा) पोताना मात्माने भावित ४२त ४२di (बहूई वासाइं) मने: परसे। सुधी (आउयं पालेंति) आयुष्य पाणे छे, (पालित्ता) मायुष्य पाजाने तसा (भत्तं पच्चक्खंति) मतप्रत्याज्यान ४२ छ, (बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेति) मनशनथी मने सातोनु छैन ४२ छ, (छेदित्ता आलोइयपडिक्कंता समाहि
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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