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________________ पीयूषवर्षिणी-टीका. स. ३८ अम्घडपरिव्राजक विषये भगवदगीतमयोः संघाम:५९१ य दिण्णे णो चेव णं अदिण्णे, से वि य हत्थ-पाय-चरुचमस-पक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा, णो चेव ण सिणाइत्तए। अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स कप्पइ मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणए जाव णो चेव णं अदिण्णे, “से वि य हत्थ-पाय-चरु-चमस-पक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा' तदपि च हस्तपाद-चरु-चमस-प्रक्षालनार्थाय पातुं वा, चरुः पात्रविशेष; 'णो चेव णं सिणाइत्तए' नो चैव खलु स्नातुम्। 'अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स कप्पइ' अम्बडस्य खलु परिव्राजकस्य कल्पते 'मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए' मागधं चाढकं जलस्य प्रतिग्रहीतुम् , 'से वि य वहमाणए जाव णो चेव णं अदिण्णे' तदपि वहमानं यावत् नो चैव खल्वदत्तम् , “से वि य सिणाइत्तए' तदपि च स्नातुम् , 'णो चेव णं हत्थ-पाय-चरु-चमसवह भी दिया हुआ ही कल्पता है, विना दिया हुआ नहीं । ( से वि य हत्थ-पाय-चरुचमस-पायालणट्ठयाए पिबित्तए वा) दिया हुआ भी वह जल हस्त, पाद, चरु (पात्र विशेष) एवं चमस के प्रक्षालन के लिये अथवा पीने के लिये ही कल्पता है, (णो सिणा इत्तए स्नान के लिये नहीं । ( अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स कप्पइ मागहए य आढए जलास पडिग्गाहित्तए ) इस अम्बड परिव्राजक को मगधदेशसंबंधी आढकप्रमाण जल ग्रहण करना कल्पता है, ( से वि य वहमाणए जाव णो चेव णं अदिण्णे) वह भी बहता हुआ थावत् दिया हुआ ही कल्पता है, विना दिया हुआ नहीं ! (से वि य सिणाइत्तए णो चेव णं हत्थ-पाय-चरु-चमस-पक्रवालणट्ठयाए) वह भी स्नान के लिये य हत्थ-पाय-चर-चमस-पक्खालणट्टयाए पिबित्तए वा ) सीधेदुहायत ५६ पाणी, હાથ પગ, ચ, તેમજ ચમસને ધોવા માટે અથવા પીવા માટે જ કપે છે. (ચરુ, यभस से पात्रविशेषना नाभा छे.) (णो सिणाइत्तए) स्नान भाट नलि. (अम्मडस्स णं परिव्वायगस्स कप्पइ मागहए य आढए जलस्स पडिग्गाहित्तए) मा म परिजाने भगबहेश-समाधी माप्रमाणुस अड) ४२j ४८ छ. (से वि य वहमाणए जाव णो चेव णं अदिण्णे) ते ५५५ य ते ४६पे छे, (यावत्) सापडं हाय ते ४८५ छे. मापे न डाय तेनडि. ( से वि य सिणाइत्तए णा चेव णं हत्थ-पाय-चरु-चमस-पक्खालणट्टयाए) पर स्नान भाटे ४ ४८ छे.
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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