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________________ ३३० औपपातिकसूत्रे आगम्मागम्म रत्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति, करित्ता वंदंति नमसंति, वंदित्ता नमंसित्ता साइं साइं नामगोयाइं साति, णञ्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवामंति ॥सू० ३३॥ महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेंति' श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य त्रिकृत्व आदक्षिणप्रदक्षिणम् अञ्जलिपुटं बद्ध्वा तं बद्धाञ्जलिपुटं दक्षिणकर्णमूलत आरभ्य ललाटप्रदेशेन वामकर्णान्तिकेन चक्राकारं त्रिः परिभ्राम्य ललाटदेशे स्थापनरूपं कुर्वन्ति, कृत्वा 'वदंति' वन्दन्ते स्तुवन्ति, 'नमसंति' नमस्यन्ति-नमस्कुर्वन्ति, वंदित्ता' वन्दित्वा 'नमंसित्ता' नमस्यित्वा 'साइं साइं णामगोयाइं साति' स्वानि स्वानि नामगोत्राणि श्रावयन्ति कथयन्ति । 'णञ्चासण्णे णाइदूरे' नात्यासन्ने नातिदूरे 'सुस्मसमाणा' शुश्रूषमाणाः-सेवां कुर्वाणाः 'नमंसमाणा' नमस्यन्तः नमस्कुर्वन्तः 'अभिमुहा' अभिमुखाः ‘विणएणं' विनयेन 'पंजिलउडा' प्राञ्जलिपुटा:-बद्धाञ्जलयः पज्जुवासंति' पर्युपासते सेवन्ते ॥सू० ३३॥॥ बार (आयाहिणपयाहिणं) अंजलिपुट बाँध कर उसे दक्षिण कान से लगा कर मस्तक के पास से बायें कान तक चक्राकार घुमाते हुए पुनः मस्तक पर (काति) रखते थे; (करित्ता) रखकर (वंदंति नमसंति) वन्दना करते थे, नमस्कार करते थे, (वंदित्तानमंसित्ता) वन्दना नमस्कार करके (साइं साइं नामगोयाई साति ) अपने अपने नाम एवं गोत्रों का उच्चारण करते थे। (णचासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जवासंति) न अतिसमीप और न अति दूर ही, अर्थात्-भगवान से थोड़ी दूर पर भगवान के सामने बैठ कर विनयपूर्वक दोनों हाथ जोड कर सेवा करने लगे ॥ सू० ३३॥ જમણું કાનથી લઈને મસ્તકની પાસેથી ડાબા કાન સુધી ચક્રાકાર ફેરવીને, शने भरत४ ५२ (करेंति) मत ता. (करित्ता) सीन (वंदति नमसंति) वहन ४२ता , नभ२४१२ ४२ता al. (वंदित्ता नमंसित्ता) वहना-नभ२४।२ ४शने ( साई साई नामगोयाई सावेंति) पात-पोतानां नाम से गोत्रनi या२६५ ४२॥ ता. (णच्चासण्णे णाइदूरे सुस्सूसमाणा नमसमाणा अभिमुहा विणएणं पंजलिउडा पज्जुवासंति) प सभी५ नड, तम ५ ६२ नडि, અર્થાત્ ભગવાનથી ઘેડે જ દૂર ભગવાનની સામે બેસીને વિનયપૂર્વક બને डाथ डी सेवा ४२१साया. (सू. 33)
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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