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________________ औपपातिकसूत्रे सेउकरे केउकरे णरपवरे पुरिसवरे पुरिससीहे पुरिसवग्घे पुरिसासीविसे पुरिसपुंडरीए पुरिसवरगंधहत्थी अड्ढे दित्ते वित्तेविच्छिण्णतस्य कारको धारकश्चेतिभावः । 'मणुस्सिदे' मनुष्येन्द्रः-मनुष्येषु इन्द्र इव परमैश्वर्यवान् । 'जणवयपिया' जनपदपिता-जनपदस्य-जनपदवासिनां जनानां विनयशिक्षाप्रदानाद्ररक्षणात् भरणपोषण-शीलतया च पितेव-पिता। 'जणवयपाले' जनपदपाल:-जनपदवासिजीवमात्रप्रतिपालकः। 'जणवयपुरोहिए' जनपदपुरोहितःजनपदस्य जनपदवासिनां जनानां शान्तिकारितया पुरोहित इव पुरोहितः, 'सेउकरे' सेतुकरः-मार्गः सेतुः मर्यादाऽपि सेतुः, तदुभयस्य करः कर्तेति यावत् । 'केउकरे' केतुकरः चिह्नकारकः, अद्भुतकार्यकरणात् ; ‘णरपवरे' नरप्रवरः-नराः साधारणाः तेषु प्रवरः कोशसैन्यबलशालितया श्रेष्ठः, 'पुरिसवरे' पुरुषवरः-पुरुषेषु-पुरुषार्थदेख-रेख रखते थे । [ मणुस्सिदे जगवयपिया जणवयपाले जणवयपुरोहिए ] मनुष्यों में ये इन्द्र समान परमैश्वर्यशाली थे। जनपदनिवासियों को विनय संबंधी शिक्षा के दाता होने से एवं उनका अच्छी तरह से रक्षण करने से तथा भरणपोषण करने से ये देश के पिता तुल्य थे। इसीलिये ये जनपदपालक ऐसा विरुद धारण किये हुए थे। और इसीलिये ये प्रजाजन के लिये पुरोहित-सबसे पहिले हित में सावधान रहने वाले थे। [ सेउकरे ] ये उन्मार्गगामी मनुष्यों को मार्ग पर लाते थे और उन्हें मर्यादा में स्थिर करते थे। [ केउकरे ] ये अक्षत कार्यों के करने वाले थे। । णरपवरे ] ये मनुष्यों में श्रेष्ठ थे, (पुरिसवरे ) और पुरुषों में प्रधान थे। “ नर" इस शब्द से यहां साधारण १२तुमानु २क्षण ४२ता ता. तमना ५२ गते परे५ ।मता उता. (मणुस्सिंदे जणवयपिया जणवयपाले जणवयपुरोहिए ) मनुष्योम ते छन्द्र समान પરમ ઐશ્વર્યશાલી હતા. જનપદ નિવાસીઓને વિનય સંબંધી શિક્ષા દેવા વાળા હોવાથી તેમજ તેમનું સારી રીતે રક્ષણ કરવાથી તથા ભરણપોષણ કરવાથી તેઓ દેશના પિતા-તુલ્ય હતા. તે માટે જ તેઓ જનપદપાલક એવું બિરદ ધારણ કરતા હતા. અને એટલા માટે જ પ્રજાજનને માટે પુરોહિત–સર્વથી पडसा हितमा सावधान २डेवावा ता. (सेउकरे) तर जन्माणाभी मनुष्याने भार्ग ५२ उता मने तभने भर्याहामा स्थि२ ४२ता ता. (केउकरे) तय सहभुत आयो ४२ना२। उता. (णरपवरे) ते मनुष्यामा श्रेष्ठ (ता. (पुरिसवरे)
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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