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________________ ६८० भगवतीसूत्रे य नीलए य लोहियए य हालिदगा य९, सिय कालगाय नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य १०, सिय कालगा य नीलगा य लोहियए य हालिदए य११, एए एकारस भंगा एवमेव पंच चउक्का संजोगा कायव्वा एक्कसंजोए एकारस भंगा सव्वे ते चउक्त संजोएणं पणपन्नं भंगा। जइ पंचवन्ने सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य? सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुक्किंगा य२, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदगा य सुकिल्लए य३, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिहए य सुकिल्लए य४, सिय कालए य नीलगाय लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य५ सिय कालगाय नीलए य लोहियए य हालिदए य सुकिल्लए य ६, एवमेए छ भंगाभाणियबा, एवमेते सव्वे वि एक्कगदुयगतियगचउक्कगपंचगसंजोगेसु छासीयं भंगसयं भवइ। गंधा जहा पंच पएसियस्स रसा जहा एयस्सेव बन्ना, फासा जहा चउप्पएसियस्स ॥सू०४॥ __ छाया--पट्मदेशिकः खलु भदन्त ! स्कन्धः कतिवर्णः कतिगन्धः कतिरस: कतिस्पर्शः प्रज्ञप्तः ? एवं यथा पञ्चपदेशिका यावत् स्यात् चतुःस्पर्शः प्रज्ञप्तः। यदि एकवर्णन, द्विवर्णी यथा पञ्चमदेशिकस्य यदि त्रिवर्णः स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च एवं यथैव पञ्चमदेशिकस्य सप्तभङ्गा यावत् स्यात् कृष्णाश्च नीलाश्च लोहितश्च० स्यात् कृष्णाश्च नीलाश्च लोहिताश्च । एते अष्ट भङ्गाः । एवमेते दश त्रिकसंयोगाः, एकैकसंयोगे अष्टौ भङ्गाः, एवं सर्वेऽपि त्रिकसंयोगे अशीतिर्भङ्गाः। यदि चतुवर्णः स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च पीतश्च१, स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहितश्च पीताश्च२, स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहिताश्च पीतश्च३ स्यात् कृष्णश्च नीलश्च लोहिताश्च पीताश्च४, स्यात् कृष्णश्च नीलाश्च लोहितश्च पीतश्च ५, स्यात् कृष्णश्च नीलाश्च लोहितश्च पीताश्च६, स्यात् कृष्णश्च શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩
SR No.006327
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages970
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size58 MB
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