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________________ ६३६ भगवतीसूत्रे लोहियहालिद्देसु, कालगलोहियसुकिल्ढेसु, कालगहालिहसुकिलेसु७, नीलगलोहियहालिद्देसु७, नीलगलोहियसुकिल्लेसु सत्तभंगा७। एवमेए तियासंजोगे सत्तरिभंगा ७०। जइ चउवन्ने सिय कालए य नीलए लोहियए हालिदए य१, सिय कालए य नीलए य लोहियए य हालिदगा य२, सिय कालए य नीलए य लोहियगा य हालिद्दए य३, लिय कालए य नीलगाय लोहियगेय हालिदगेय४, सिय कालगाय नीलए य, लोहियए य हालिदए य५, एएपंचभंगा। सिय कालए य नीलए य लोहियए य सुकिल्लए य पत्थ वि पंचभंगा। एवं कालगनीलगहालिदसुकिल्लेसु वि पंचभंगा५, कालगलोहियहालिहसुविकल्लएसु वि पंचभंगा नीलगलोहियहालिदसुकिल्लएसु वि पंचभंगा ५, एवमेए चउ. कसंजोएणं पणवीसं भंगा २५। जइ पंचवन्ने कालए य नीलए य लोहियए य हालिदए य सुक्किलए य। सबमेए एक्कग. दयगतियगचउक्कपंचसंजोएणं ईयालं भंगप्तयं भवइ गंधा जहा चउप्पएसियस्तारसा जहावन्ना फासा जहा च उप्पएसियस्तसू.३। छाया--पश्चपदेशिकः खलु भदन्त ! स्कन्धः कतिवर्णः कतिगन्धः कतिरसः कतिस्पर्शः प्रज्ञप्तः, यथाऽष्टादशशते यावत् स्यात चतुःस्पर्शः प्रज्ञप्तः । यदि एकवर्णः, एकवर्ण द्विवर्णी यथैव चतुःपदेशिकः । यदि त्रिवर्णः स्यात् कालो नीलो लोहितश्च १, स्यात् कालो नीलो लोहिताश्च २, स्यात् कालो नीलाश्च लोहितश्च ३, स्यात् कालो नीलाश्च लोहिताश्च ४, स्यात् कालाश्च नीलश्च लोहितश्च ५, स्यात् कालाश्च नीलश्च लोहिताश्च ६, स्यात् कालाश्च नीलाश्च लोहितश्च ७, स्यात् कालश्च नीलश्च हारिद्रश्च-अप्रापि सप्तभङ्गाः७ । एवं कालनीलशुक्लेषु सप्तमगाः। काललोहितहारिद्रेषु सप्तमगाः ७। कृष्णलोहित शुक्लेषु सप्तभङ्गाः ७। कालहारिद्रशुक्लेषु सप्तमङ्गाः ७ । नीललोहितहारि શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૧૩
SR No.006327
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 13 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1969
Total Pages970
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size58 MB
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