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________________ EED- माम प्रमेयचन्द्रिका टीका श. ८ उ० ९ सू० ३ प्रयोगबन्धनिरूपणम् १५ 'बन्यो यत् खलु अगड (अवट) तडाग नदी हद वापी दीर्घिकाणां गुञ्जालिकानां 'सरसां सरम्पङ्क्तिकानाम् , सरासरःपङ्क्तिकानाम् , विलपङ्क्तिकानाम् , देवकुलसभा-पर्व-स्तूप-खातिकानाम् , परिखाणाम् , माकाराहालक-चरिकद्वार-गोपुर-तोरणानाम् , प्रासाद-गृह-शरण-लयनापणानाम् , शृङ्गाटक-त्रिकचतुष्क - चत्वर - चतुर्मुख - महापथादीनां सुधाकर्दमल लेपसमुच्चयेन बन्धः संख्यातकालतक रहता है। (से तं उच्चयबंधे) यही उश्चय बंध का स्वरूप है। (से किं तं समुच्चयब धे) हे भदन्त ! समुच्चय बंधका क्या स्वरूप है ? (समुच्चयबंधे ज णं अगडतडाग नदी दह वावी-पुक्खरिणी दीहिया गुंजालियाणं, सराणं, सरपंतियाणं, सरसरपंतियाणं, बिलपतियाणं, देवकुल-सभापव्व-थूमखाइणं फरिहाणं पागाराहालगचरिय दार गोपुरतोरणाणं, पासायवर सरणलेण आवणाणं, सिंघाडगतिय-चउक -चच्चर-चउम्मुह-महापहमाइणं छुहा-चिक्खिल्ल सिलेस समुच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ) हे गौतम! कुंओ, तालाब, नदी, द्रह, वापी, पुष्करिणी, दीर्घिका, गुंजालिका, सरोवर, सरोवरपङ्क्ति, सरासर पक्ति, विलपङ्क्ति, देवकुल सभा, प्याऊ, स्तूप, खाईयां परिथ, कोट, अटारियां, चरिक, द्वार, गोपुर, तोरण, प्रासाद, चर, शरण, बाजार, शृङ्गाटकमार्ग, त्रिकमार्ग, चतुष्कमार्ग, चत्वर, चतुर्मुखमार्ग, २ पधारे अभ्यात सुधा २७ छे. ( से तं उच्चयबधे ) व्यय पर्नु शे २१३५ छ. (से कि तं समुच्चयबंधे ? ) 3 महन्त ! सभुश्यय धनु (समुच्चय बधे जणं अगडतडागनदीदहवावी, पुक्खरिणी दीहियाणं गुंजालियाणं, सराणं,, सरपंतियाणं, सरसरपंप्तियाणं, बिलपंतियाण, देवकुल-सम पव्व-थूम खाइयाणं फरिहाणं, पागाराट्टालगचरियदारगोपुरतोरणाणं पासायघर मरणलेणआवणाणं, सिंगाडग-तिय-चउक्क-चच्चर-चउम्मुह-महापहमादीणं-छहा -चिक्खिल्ल सिलेस समुच्चएणं बंधे समुप्पज्जइ) गौतम ! पा, ताप, नी, २ (६७), पापी, Yogirel, alsl; ગુજાલિકા, સરોવરસરેવર પંક્તિ, સરાસર પંક્તિ (મહાસરોવર શ્રેણી), लिस पति, दसा, या (84131), स्तूप, माया, परिध, छोट, અટારીઓ (પ્રાસાદને ઊર્ધ્વ ભાગ), ચરિકા (નગર અને દુગને મધ્યવતી लास), २, गोधु२ (२ २), ता२Y, Ant, ५२, शरण (स्थानविशेष), તેણુ (ગ્રહ વિશેષ), બજાર, શૃંગાટક માર્ગ, ત્રિક માર્ગ ચતુષ્ક માર્ગ, ચસ્વર માર્ગ, શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૭
SR No.006321
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 07 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1964
Total Pages776
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size45 MB
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