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________________ १५८ भगवतीसरे बाबपुद्गलान् आदाय तथा परिणमयति । एवंरीत्या गन्ध-रस-स्पर्शानामपि परिणामान्तरं वर्णानां दश, गन्धस्य एकः, रसानां दश, स्पर्शानां च चत्वारो विकल्पाः । अविशुद्धलेश्यो देवः असमवहतेन आत्मना अविशुद्धलेश्यं देवं, देवीं, तयोरन्यतरं वा जानाति ? नजानाति । एतत्तयाणों पदानां क्रमशो योजनया द्वादशविकल्पा भवन्ति । तत आधेषु अष्टसु न जानाति । अन्तिमेषु चतुर्यु च देवो जानाति ॥ कर्मभेदवक्तव्यतामूलम्-जीवेणं भंते ! णाणावरणिजं कम्मं बंधमाणे कइ कम्मप्पगडीओ बंधइ ? गोयमा! सत्तविहबंधए वा, अविहबंधए वा, छबिहबंधए वा, बंधुआँसो पण्णवणाए नेयहो ॥सू०१॥ __छाया- जीवः खलु भदन्त ! ज्ञानावरणीयं कर्म बध्नन् कति कर्मप्रकृती: वध्नाति ? गौतम ! सप्तविधबन्धको वा, अष्टविध बन्धको वा, षविधवन्धको वा, बन्धोद्देशः प्रज्ञापनायाः ज्ञातव्यः ॥सू० १॥ नील पुद्गल के रूप में और नीलपुद्गलों को कृष्णपुद्गल के रूप में परिणमा देता है क्या ? बाह्यपुद्गलों को ग्रहण करके वह ऐसा करता है। इसी तरह से गंध, रस, स्पर्श इन्हें भी परिणामान्तर रूप से परिणमाने के विषय में जानना चाहिये । वर्णों के १० विकल्प, गन्ध का ९ विकल्प, रसों के १० विकल्प, स्पर्शो के चार विकल्प । अविशुद्धलेश्यावाला देव असमवहत आत्मा द्वारा अविशुद्धलेश्यावाले देव को तथा देवी को या इन दोनों में से किसी एक को जानता है क्या ? उत्तर-नहीं जानता है। इन तीन पदों की क्रमशः योजना करने से १२ विकल्प होते हैं सो आदि के आठ विकल्पों में वह देव नहीं जानता है अन्तिम चार विकल्पों में जानता है। અને નીલ યુગલને કૃષ્ણ પુરૂગલારૂપે પરિણાવી દે છે?” ઉત્તર-બાહ્ય પુલને ગ્રહણ કરીને તે એવું કરે છે.” એજ પ્રમાણે ગંધ, રસ અને સ્પર્શને પણ અન્ય પરિણામરૂપે પરિણુમાવવા વિષે પણ સમજવું. વણેના દસ વિકલ્પ, ગંધને એક વિકલ્પ, રસના ૧૦ વિકલ્પ અને સ્પર્શીના ચાર વિકલ્પ. અવિશુદ્ધ વેશ્યાવાળે દેવ અસમાવહત એટલે કે ઉપગ રહિત આત્મા દ્વારા અવિરુદ્ધ લેશ્યાવાળા દેવને તથા દેવીને અથવા सेवा अन्य ने शुये छ। उत्तर- "ongतो नथी", मेथन શ્રી ભગવતી સૂત્ર : ૫
SR No.006319
Book TitleAgam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 05 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1963
Total Pages866
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bhagwati
File Size47 MB
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