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________________ ७८ ३६१-३६७ ३६८-३६९ ३७० ३७१-३७३ ३७३३७४-३८७ ३८८-३९३ ३९४-३९५ ८६ प्रमाद विशिष्ट प्रत्युपेक्षणाका निरूपण लेश्याके स्वरूपका कथन देवसूत्रका कथन दिक्कुमार्यादिकोंका निरूपण धरणेन्द्रादिकोका सामानिक साहस्त्रीका निरूपण विशिष्ट मतिवाले देवोंकी गतिके भेदका निरूपण तपके भेदोंका निरूपण विवादके स्वरूपका निरूपण क्षुद्रप्राणियोंके स्वरूपका निरूपण छह प्रकारकी गोचरचर्याका निरूपण असाधुचर्या के फलभोगनेवालोंकी गतिका निरूपण साधुचर्या के फल भोगनेवालेका निरूपण नक्षत्रोंके स्वरूपका निरूपण संयम और असंयम के स्वरूपका निरूपण मनुष्य क्षेत्रमें रही हुई वस्तुका निरूपण कालविशेषका निरूपण ज्ञानके स्वरूपका निरूपण अवधिज्ञानके स्वरूपका वर्णन ज्ञानिके अवचन-नही कहने योग्यका निरूपण अवचनमें मायश्चित्तका कथन कल्प विषयका निरूपण कल्पस्थितिका निरूपण महावीरस्वामी संबंधी कथन देवके संबंधी निरूपण अहारका परिणाम और विपरिणामका निरूपण छह प्रकारके प्रश्नका निरूपण इन्द्र के अनादिपनेका निरूपण भेद सहित आयुबन्धका निरूपण औदयिक विगैरह भावोंका निरूपण छ प्रकारका प्रतिक्रमणका निरूपण ३९८-४०० ४०१-४०२ ४.३-४०४ ४०५-४१० ४११-४१२ ४१३-४१८ ४१९-४२१ ४२२-४२४ ४२५-४२७ ४२८-४२९ ४३०-४५१ ४५२-४६० ४६१-४७१ ४७२ १०० १०२ १०४ १०५ ४७४-४७७ ४७८-४८० ४८१-४८४ ४८५-४९४ ४९५-५११ ५१२-५१५ श्री. स्थानांग सूत्र :०४
SR No.006312
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages775
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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