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________________ ~ m 20 २४ अचार्य और उपाध्यायके गणसे बाहर होने के विषयका निरूपण १५१-१५५ २५ ऋद्धिवाले मनुष्य विशेषका निरूपण १५६-१५८ नीसरा उद्देशा२६ अस्तिकायके स्वरूपका निरूपण १५९-१७१ २७ इन्द्रियों के अर्थोंको और इन्द्रिय संबंधी पदार्थोंका निरूपण १७२-१८७ २८ बादर जीवविशेषका निरूपण १८८-१९१ २९ सचेतन बायुका विशेष प्रकारसे निरूपण करनेवाले निर्ग्रन्थका निरूपण १९२-२०५ ३० निग्रन्थोके उपधि विशेषका निरूपण २०६-२१० ३१ कायादिक धर्मापकरणताका निरूपण २११-२१८ ३२ शौच के स्वरूपका निरूपण २१९-२२१ ३३ छमस्थ केवली के ज्ञेय अज्ञेय पदार्थीके विषयका कथन २२२-२२४ अधोलोकमें रहे हुए एवं उर्वलोकमें रहे हुए अतीन्द्रिय भावोंका निरूपण २२५-२२८ मत्स्यके दृष्टान्त से भिक्षु के स्वरूपका निरूपण २२९-२३० ३६ वनीपकके स्वरूपका निरूपण २३१-२३४ ३७ अचेलकके प्रशंसास्थानोंका निरूपण २३५-२३७ ३८ उत्कटके पांच भेदों का निरूपण २३८-२३९ ३९ समितिके पांच प्रकारका निरूपण २४०-२४१ जीवके स्वरूपका निरूपण २४२-२४४ ४१ वनस्पतिजीवके योनिविच्छेदका निरूपण २४५-२४७ ४२ पांच प्रकारके संवत्सरका निरूपण २४८-२५८ जीवका शरीर से निर्गम (निकलना)का निरूपण २५९-२६० ४४ आयुके छेदका निरूपण २६०-२६२ ४५ आनंतर्यका निरूपण २६०-२६२ पांच प्रकारके अनन्तका निरूपण २६४-२६७ ४७ ज्ञानके स्वरूपका निरूपण २६८ ४८ स्वाध्यायके पंचविधताका निरूपण २६९-२०० प्रत्याख्यानके स्वरूपका निरूपण २७१-२७५ ३५ ४६ श्री. स्थानांग सूत्र :०४
SR No.006312
Book TitleAgam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 04 Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1965
Total Pages775
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size42 MB
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