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॥ अथ द्वितीय उद्देश॥ विषय १ द्वितीय उद्देश का प्रथम उदेश के साथ संबन्धपतिपादन,
प्रथम गाथा का अवतरण, गाथा और छाया । २ विहार में भगवानने जिन आसनों को, शय्याओं को सेवित
किया उन्हें कहें-इस प्रकार जम्बू स्वामी का प्रश्न । ३ द्वितीय गाथा का अवतरण, गाथा और छाया। ४ सुधर्मा स्वामी का उत्तर--भगवानने विहारकालमें शून्य
गृहोंमें, सभाओंमें, प्रपाशालाओंमें, पण्यशालाओंमें, कारखा
नोंमें, पुआल को बनी कुटियोंमें निवास किया। ५६३-५६४ ५ तीसरी गाथा का अवतरण, गाथा और छाया।
५६४ ६ भगवानने कभी धर्मशालाओंमें, उद्यान स्थित गृहोंमें, नगर के
मध्यभागमें, श्मशानमें, शून्यगृहमें, वृक्षमूलमें निवास किया। ५६४ ७ चौथी गाथा का अवतरण, गाथा और छाया।
५६५ ८ भगवानने इस प्रकारके आवासों में कुछ अधिक तेरह वर्षों तक
निवास किया, और वहाँ पर निद्रादिप्रमाद और विस्रोतसिका से रहित भगवान् ध्यानावस्थामें रहे । पाँचवीं गाथा का अवतरण, गाथा और छाया । भगवान महावीर स्वामी अधिक सोते नहीं थे, यदि निद्रा आने लगती थी तो भगवान् सावधान होकर जागते रहते थे, अप्रितिज्ञ भगवान् छद्मस्थावस्थामें रात्रि के अन्तिम
प्रहरमें अन्तर्मुहूर्त्तमात्र शयन करते थे । ११ छट्ठी गाथा का अवतरण, गाथा और छाया।
५६६ भगवान् महावीरस्वामी निद्राके दोषोंको अच्छी तरह जानते हुए निद्रा आनेके समय उठ कर, बाहर निकल कर, एक मुहत्तं भ्रमण कर फिर ध्यानमें बैठ जाते थे ।
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શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩