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________________ तिर्थंकर सह श्री (९०९ तिर्थंकरोके नाम की जिनवं दना) की १००० प्रतों, कीमती जी की तफंसे और बारकस (हैद्राबाद) वाले बुद्धमलजी जवारमलजी मा नमलजी दुगडकी तफंसे और यादगिर (हैद्राबाद)वाले नवलमलजी सुरजमलजी तर्फसे जिनदास सुगणी चरित्र ४ खंड ४० ढाल १००० प्रतोऔर सिंहलकुंवरकी ढाल तथा भुवन सुन्दरीकी ढाल (दोनोकी १ पुस्तक) की १००० प्रतो यों सर्व ६००० पुस्तको छपवाके अ मुल्य भेट देने का विचार हुवा हैं. यह सब प्रसाद महाराज श्री काही है. ग्रन्थ कर्ता को तो कोट्यान धन्यवाद हे ही; परंतु जो सन्मार्ग में द्रव्य व्यय कर सु ज्ञान का लाभ अमुल्य अपणे स्वधर्मी यों को देते हैं उन्हे भी धन्यवाद हैं. यह अनुकरण सब साधूजी श्रा वकजी करेंगे ऐसी नमृ अर्ज कर प्रस्तावनाकी समापप्ती करता हूं. गुणानुरागी-रामलाल पन्नालाल कीमती.
SR No.006299
Book TitleDhyan Kalptaru
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherKundanmal Ghummarmal Seth
Publication Year
Total Pages388
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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