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________________ झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे । आज तो बधाओ राजा विश्वसेन रे दरबार रे । अचलादेवीजी बेटो जायो शान्ति कुमार रे । आज तो बधावो राजा विश्वसेन रे दरबार रे । घणण- घणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे । झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे । आज तो बधावो राजा समुद्रविजयजी रे दरबार रे । सेवादेवीजी बेटो जायो अरिष्ठनेमी कुमार रे 1 आज तो बधावो राजा समुद्रविजयजी रे दरबार रे । घणण- घणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे । झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे । आज तो बधावो राजा अश्वसेन रे दरबार रे । वामादेवीजी बेटो जायो पार्श्व कुमार रे । आज तो बधावो राजा अश्वसेन रे दरबार रे । घण घणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे । झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे । आज तो बधावो राजा सिद्धारथ रे दरबार रे । त्रिशलादेवीजी बेटो जायो महावीर कुमार रे आज तो बधावो राजा सिद्धारथ रे दरबाद रे । घणण-घणण घंटा बाजे देव करे उच्छाव रे । झणण-झणण झालर बाजे देवियां करे उच्छाव रे । 46
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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