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________________ मोलाया सजनी लाडु, पेडा, फिणिया. बर्फी, चार, सगला रे मन भावता ॥४॥ पेरया ओड़या भोजन कोना, अबे मने घर पुगावो चिरंजीवी ओ माता मीरादेवीजी थारा पूत, बधावो माहरे आवियो ॥५॥ ॥चौवीसी । (तर्ज :-शीतल जिनवर करू प्रणाम ।। ) नाभि राजा मोरादेवी नार, वनिता नगरी में लियो अवतार, धन-धन ओ मोरादेवी मांय, पहला श्री ऋषभनाथ स्वामी लियो अवतार ॥१॥ जितशत्र राजा विजयादेवी नार, अयोध्या नगरी में लियो अवतार, धन-धन ओ विजयादेवी मांय, दूजा श्री अजितनाथ स्वामी लियो अवतार ॥२॥ जितारथ राजा सेनादेवी नार, सावत्थी नगरी में लियो अवतार, धन-धन ओ सेनादेवी मांय, तीजा श्रीसंभव स्वामी लियो अवतार ॥३॥ संवर राजा सिद्धार्था देवी नार, वनिता नगरों में लियो अवतार, धन-धन ओ सिद्धार्थादेवी मांध, चौथा श्री अभिनन्दन स्वामी लियो. अवतार ॥४॥ मेघरथ राजा सुमंगलादेवी नार, कौशलपुरी में लियो अवतार, धनधन ओ सुमंगलादेवी मांय, पांचमा श्री सुमतिनाथ स्वामी लियो अवतार ॥५॥ श्रीधर राजा सुषमादेवी नार, 34
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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