SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 27
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पहलो डोहलो उपन्योजी, इन्द्राणी रे कुंडल पेरन आस के, सिद्धारथ पेरावियाजी ॥२॥ रानी ने दूजो डोहलो उपन्योजी, ये तो दया-धर्म चित्त जाय के, खिम्या धर्म पालनोजी ॥३॥ रानी ने तोजो डोहलो उपन्योजी, दान देवन मन जाय के, अभयदान मोटकाजी ॥४॥ रानी ने चौथो डोहलो उपन्योजी, रानी ने शील पालन मन जाय के, व्रत पाले मोटको जी ॥५॥ रानी ने पांचमो डोहलो उपन्योजी, तपस्या करन मन जाय, नौकारसी तप करेजी ॥६॥ रानों ने छट्ठो डोहलो उपन्योजी, रानी रे भाव सामायिक मांय, पडिकमणो नित करेजी ॥७॥ रानी ने सातमो डोहलो उपन्योजी, रानी रो घेवरिया मन जाय के, चीनि खांडराजी ॥८॥ रानी ने आठमां डोहलो उपन्योजी, रानी ने लापसड़ी मन मांय, झरता घिरतराजी ॥९॥ रानी ने नवमो डोहलो उपन्योजी, रानी ने अजमो झूठ सन जाय के, लाडू गूंदराजी ॥१०॥ सवा नौ मास पूरा हुआजी, चैत्र सुदी तेरस दिन जान, तीर्थकर जगमियाजी ।।१२॥ जठे छप्पन कुमारियां मिल आवतीजी, माताजी ने करे नमस्कार, डर मती लावजोजी ॥१२॥ जठे सोनारी छुरिया नालो मोड़ियोजी, जठे रत्नां रा थाल बजायो, आनन्द बधावनांजी॥१३॥ गंगा जल नीर नवावियाजी, 22
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy