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________________ जीमोनी चावल दाल, तपस्या वाला रा कोड़ करने रेवोनी दिन चार ॥ २ ॥ इति ॥ || गुल को गीत || तर्ज : गाढ़ा भर गुल लाविया, रस मेवारो) बाजारां में गुल आवियो रस मेवारो । जाय बाबूलालजी खरीदियो रस मेवारो ॥ १॥ व्याणसारो बुढ़ापो आवियो वाने गुलरो सोरो जिमावजो रस मेवारो ॥२॥ वानी बाटकी रामचन्दजी ले गया रस मेवारो ||३|| ये लारे पद्माबाई दौड़िया रस मेवारो ॥४॥ बादीजो रो सोरो मत खावजो रस मेवारो ॥५॥ दादोजी रो मत दुःखजो आखियां रस मेवारो ॥ ६ ॥ वानी बुढापो सेवा करो रस मेवारो ||७|| ये तो जाय ने सब पग पड्या रस मेवारो ॥ ८ ॥ इति || 18 ॥ चौवीसी ॥ ( तजं पहला वन्दुजी श्री ऋपम जिनेश ) पहला वन्दुजी श्री ऋषम जिनेश, दूजा अजितनाथ वंदस्यां । कर जोडीजी प्रभुजी ने लांगुजी पाय, स्वामी सुनोजी माहरी विनंती, धर्म सुनोजी माहरी विनन्ती ॥ नोट : इसी तरह चौबीस तीर्थकरों का नाम लेना चाहिये ।
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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