SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ आ तो चेचक रोग तन मांय उपजे तो, माता ने दोष किम देवता ए मांय ॥१०॥ दवाई देय ने चिकित्सा करावो तो, ततकाल रोग मिट जावती ए मांय ॥११॥ आछा तो कपडा ने गेणा पेर ने जाओ तो, कादा कीचड भर घर आवसो ए मांय ॥१२॥ दही चढावे ने करबो चढावे ने, कुत्ता पड-पड चाटता ए मांय ॥१३॥ माथे तो धार लगाय ने दौडे तो, देवी री अशातना इम होवे रे मांय ॥१४॥ दया पालो ने नवकार सुनाओ तो, बालक ने साता ऊपजे ए मांय ।।१५।। मिथ्या भरम मन मांय काढो तो, जिन धर्म री सेवा थे ए मांय ॥१६॥ शासन देवता साता जो करसी तो, दया माता री जय बोलजो मांय ॥१७॥ ॥शीतला देवी का स्तवन ॥ (तर्ज-वीरा माहरा गंज थकी उतरो) पूजो जिनवाणी माता शीतला शीतल चित्त करो भावेजी। संसार दाबानल उपशमे, भविजन सुन उलसावेजो ॥ 184
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy