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________________ ( तर्ज 168 ॥ दिनरा गाने का गीत || || जमाइजी रो स्वागत ॥ - बांस बडाओ हो बगडीरा चार घाघर घूमेला । ) कंदोई बुलावो हो नगरी रा चार -- जमाई जीमेला ॥टेर ॥ मत लाजो हो परदेशी खाण्ड -- जमाई जीमेला ॥१॥ देशी शक्कर हो मैदा घृत सार --- जमाई जीमेला ॥२॥ नहीं द्विदल हो नहीं बासी साग -- जमाई जीमेला ॥३॥ मोरो लापसी हो खाजा तैयार -- जमाई जीमेला ||४|| साला सहेल्याँ हो करे मनुहार -- जमाई जीमेला ॥५॥ ऐंठो नहीं नाखेहो जाणे घर रो माल -- जमाई जीमेला | ६ || पान सुपारी हो देस इलायची लूंग - - जमाई जीमेला ॥७॥ इणविध गासां हों जमाइयों ने गीत- जमाई जीमेला ॥८॥ साथ आया हो वैवायांरो साथ -- जमाई जीमेला ॥९॥ ज्यांरी करसांहो घणी सारसंभाल -- जमाई जीमेल । । १० । मारा बाईजीने हो देसां चंदडी हार -- जमाई जीमेला | ११ ॥ नणदोईजीने हो देसां पंचरंगी पाग -- जमाई जीमेला ॥ १२ ॥ नारेल देसां हो वेवायां रे हाथ -- जमाई जीमेला ॥ १३॥ पहुँचावाजासांहो मिल सारो साथ -- जमाई जीमेला | १४ || अरजी करसांहो फिर आइजो आप -- जमाई जीमेला । १५ । सुणसी श्रीनाथ हो ऐसा शुभगीत--जमाई जीमेला ॥ १६ ॥
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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