SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 150
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सोना रो भल सूरज ऊगियो, आया वेवाई द्वार । लावो वेवायां ने ॥ १ ॥ मैं थाने पूछ वेवाई जी, थारे न कितरो साथ । लावो वेवायां ने ॥२॥ दो काकारा दो मामारा, चारो ही बेटा थाय । - लावो वेवायां ने ॥ ३ ॥ नोहरा माहे डेरा दिरावो, करसां हो सार संभाल । लावो वेवायां ने ॥ ४ ॥ दांतण देय संपाडा सारूं, पाणी ऊनो तैयार । लावो वेवायां ने ॥५॥ गादी ढाल बिछावो पाटो, मेलो रूपारो थाल । __ लावो वेवायां ने ॥ ६ ॥ मगद चूरमो खाजा पुरसां, जिनमें है वेशी खाण्ड लावो वेवायां ने ॥ ७ ॥ घणा दिनां सुं आप पधारया, पूर्वी मैं केवो बात । ___ लावो वेवायां ने ॥ ८ ॥ कांई आपरो हुक्म हबालो, कांई विणज व्यापार । लावो वेवायां ने ॥ ९ ॥ सुणो-सुणो फलाणचन्दजी सा थांरी, चोखी है कुल रीत, लावो वेवायां ने ॥ १० ॥ सगा वाला सुं हेत सवायो, देखत हरख अपार । लावो वेवायां ने ॥ ११ ॥ 145
SR No.006295
Book TitleSwarna Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherPannalal Jamnalal Ramlal
Publication Year
Total Pages214
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy