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________________ यौगंधरायण ने पत्र पढ़ा और कहा महाराज ! हम एकान्त में इस पर विचार करेंगे। उदयन और वासवदत्ता एकान्त कक्ष में यौगंधरायण ने बताया 'महाराज ! अवन्ती की राजसभा आपका सर्वश्रेष्ठ वीणावादन सुनना चाहती है। इसलिए आपको सम्मानपूर्वक अवन्ती पधारने के लिए निमंत्रित किया है। यह सुनकर मंत्रियों ने कहा- अवन्ती नरेश तो हमारे स्वजन हैं, वहाँ जाने में क्या आपत्ति है? चण्डमहासेन हमारे स्वजन तो हैं, परन्तु महाकुटिल भी हैं। चोट खाया सांप विश्वसनीय नहीं होता। इसमें | कोई चाल भी हो सकती है। और हमारे राजा दूसरे राज्यों में जाकर वीणावादन करें, यह भी गौरव की बात नहीं है। इन सबकी बातें सुनकर उदयन ने कहा महामात्य! आप जैसा भी उचित समझें उत्तर दे दीजिए।
SR No.006280
Book TitleUdayan Vasavdatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJain Education Board
PublisherJain Education Board
Publication Year
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size21 MB
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