SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ सही समझ की स्वीकृति मार्ग सुविधा के लिए राजनगर से दो दलों में प्रस्थान मुनि वीरभाणजी को रहस्य नहीं खोलने की हिदायत मुनि वीरभाणजी का स्वामी रुघनाथजी के पास पहले पहुंचना और रहस्योद्घाटन गुरु दर्शन और अप्रसन्नता का सामना शंका-समाधान का असफल प्रयत्न अभिनिष्क्रमण तेज आंधी और श्मशान भूमि में पहला प्रवास छत्री पर स्वामी रुघनाथजी का आगमन, आग्रह और धमकी -बडलू चर्चा स्वामी जयमलजी से विचार-विमर्श मुनि किशनोजी - भारमलजी प्रसंग तेरापंथ नामकरण क्रान्ति के आदि सहयोगी संतों का परिचय विरोध का वातूल अनुपम साहस और आचार महिमा संघर्ष पूर्ण पहले पांच वर्ष निराशा और एकान्त तपस्या मुनि थिरपालजी और फतेहचंद जी का धर्म प्रचार का अनुनय साध्वी - दीक्षा ९ द्वितीय खंड उत्पत्तिया बुद्धि के स्वामी आचार्य भिक्षु भिक्खु दृष्टांत और विनीत- अविनीत चौपी के दृष्टांत दृष्टांतों की संकल्पना ९ १० १०-११ १२ १३-१४ १५ १५ १५-१७ १७ १८ १८-२० २१-२४ २५-२७ २८ २८-२९ ३० ३० ३१-३२ ३३ आचार्य भिक्षु और मुनि भारीमालजी के आत्मीय सम्बन्धों की झांकी ३३ सुपात्र दान विमर्श निर्जरा और पुण्य विमर्श अनुकम्पा विमर्श ३६-३९ ४०-४१ ४२-४५ ४६ ४६-१४० १४१-१४५
SR No.006279
Book TitleBhikkhu Jash Rasayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayacharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1994
Total Pages378
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy