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________________ त्रिमूल्यात्मक तर्कशास्त्र की त्रयी- 1. निश्चितता 2. सम्भाव्यता 3. असम्भाव्यता ↓ ↓ ↓ सत्य मूल्य आंशिक सत्यमूल्य असत्यमूल्य जैन दर्शन की त्रयी - मूल्य अतः स्याद्वाद त्रिमूल्यात्मक है, किन्तु सप्तभंगी द्विमूल्यात्मक है उसमें असत्य मूल्य नहीं है। उसमें भी प्रमाण सप्तभंगी निश्चित सत्यता की सूचक है और नए सप्तभंगी आंशिक सत्यता की । संदर्भ - 1. प्राच्य विद्या सम्मेलन कर्नाटक विश्वविद्यालय घारवाड़ सन् 1976 में पठित। 2. सध्ये सरा नियंट्टति, तक्का जत्थन विडडाई मई तत्त न गाहिया उपमा न विज्जई अपयस्य पयं नत्थि । 3. 1. प्रमाण 2. नय 3. दुर्नय ↓ ↓ ↓ सत्य मूल्य आंशिक सत्य असत्य मूल्य **** जैन ज्ञानदर्शन पण्णवणिगज्वा भावा अनंतभागो दु अणभिलप्पानं । पण्णवणिज्जाणंपुण अनंतभागो सुदनिवड़ो ।। आचारांग 1-5-6-17। - गोमट्टसार, जीव, 334 249
SR No.006274
Book TitleJain Darshan Me Tattva Aur Gyan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain, Ambikadutt Sharma, Pradipkumar Khare
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year
Total Pages720
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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