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________________ २७२ नव पदार्थ ५४. दुभग नाम थकी जीव हुवै दोभागी, अणगमतो लागे न गमे लोकां ने लिगार। दुःस्वर नाम थकी जीव हुवे दुःस्वरीयो, तिणरो कंठ असुभ नहीं श्रीकार ।। ५५. अणादेज नाम करम रा उदा थी तिणरो वचन कोइ न करें अंगीकार। अजस नाम थकी जीव हूओ अजसीयो, तिणरो अजस बोले लोक वारंवार ।। ५६. अपघात नांम करम रा उदे थी, पेलो जीते में आप पांमे घात । दुभ गइ नांम करम संजोगे, तिणरी चाल किणही में दीठी न सुहात ।। ५७. नीच गोत उदे नीच हुवो लोकां में, उंच गोत तणा तिणरी गिणे छे छोत । नीच गोत थकी जीव हर्ष न पांमें, पोता रो संचीयो उदे आयो नीच गोत" || ५८. पाप तणी प्रकृत ओलखावण काजे, जोड़ कीधी श्री दुवारा सहर मझार। संवत अठारे पचावनें वरसे, जेठ सुदी तीज ने बृहस्पतवार ।।
SR No.006272
Book TitleNav Padarth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShreechand Rampuriya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages826
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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