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________________ मैं कौन हूँ ? १२५ सिवाय और इन्द्रियों की आकृतियाँ नहीं बनतीं । द्वीन्द्रिय आदि जातियों में क्रमश: रसन, घ्राण, चक्षु और श्रोत्र की रचना होती है। दोनों प्रकार की इन्द्रियों के सहयोग से प्राणी इन्द्रिय- ज्ञान का उपयोग करते हैं । स्व-नियमन जीव स्वयं-चालित है । स्वयं चालित का अर्थ पर सहयोग - निरपेक्ष नहीं, किन्तु संचालक-निरपेक्ष है । जीव अपने ही पुरुषार्थ यानी उत्थान, बल, वीर्य, पुरुषाकार, पराक्रम से अपना संचालक होता है । उत्थान आदि शरीर से उत्पन्न हैं। शरीर जीव द्वारा निष्पन्न है । क्रम इस प्रकार बनता है— जीव से शरीर, शरीर से वीर्य, वीर्य से योग (मन, वाणी और कर्म) उत्पन्न होते हैं । वीर्य दो प्रकार का होता है - लब्धि-वीर्य और करण - वीर्य । लब्धि-वीर्य सत्तात्मक शक्ति (potential energy) है। उसकी दृष्टि से सब जीव सवीर्य होते हैं। करण-वीर्य क्रियात्मक शक्ति (kinetic energy ) है । यह जीव और शरीर दोनों के सहयोग से उत्पन्न होती है । जीव में सक्रियता होती है, इसलिए वह पौद्गलिक कर्म का संग्रह या स्वीकरण करता है । वह पौद्गलिक कर्म का संग्रहण करता है, इसलिए उससे प्रभावित होता है । कर्तृत्व और फल - भोक्तृत्व एक ही श्रृंखला के दो सिरे हैं । कर्तृत्त्व स्वयं का और फल - भोक्तृत्व के लिए दूसरी सत्ता का नियमन - ऐसी स्थिति नहीं बनती । फल-प्राप्ति इच्छा-नियन्त्रित नहीं, किन्तु क्रिया नियंत्रित है। हिंसा, असत्य आदि क्रिया के द्वारा जीव कर्म-पुद्गलों का जो संग्रह हुआ होता है, वह पकते ही -अपनी क्रिया प्रारम्भ कर देता है । पहले जीवन यानी वर्तमान आयुष्य के कर्म-परमाणुओं की क्रिया समाप्त होते ही अगलं आयुष्य के कर्म-पुद्गल अपनी किया प्रारम्भ कर देते हैं । दो आयुष्य के कर्म-पुद्गल जीव को एक साथ प्रभावित नहीं करते । वे पुद्गल जिस स्थान के उपयुक्त बने हुए होते हैं, उसी स्थान पर जीव को नोदन (propel) कर ले जाते हैं। उन पुद्गलों की गति उनकी रासायनिक क्रिया ( रस-बन्ध या अनुभाव - बन्ध) के अनुरूप होती है। जीव उनसे बद्ध होता है, इसलिए उसे इस प्रकार एक जन्म से दूसरे जन्म में गति और होती है 1 भी वहीं जाना पड़ता है 1 आगति स्व-नियमन से ही
SR No.006270
Book TitleJain Darshan Aur Sanskriti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahapragna Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year1998
Total Pages286
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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