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परिशिष्ट-I...255 सव्वलोए अरिहंत चेइयाणं करेमि काउस्सग्गं।।1।। वंदण वत्तिआए, पूअण वत्तिआए, सक्कार वत्तिआए, सम्माण वत्तिआए, बोहिलाभ वत्तिआए, निरुवसग्ग वत्तिआए।।2।। सद्धाए, मेहाए, धीईए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वडमाणीए ठामि काउस्सग्गं।।3।। __ अन्नत्थ ऊससिएणं, नीससिएणं, खासिएणं, छीएणं, जंभाइएणं, उड्डुएणं, वायनिसग्गेणं, भमलिए पित्तमुच्छाए।।1।। सुहुमेहिं अंगसंचालेहि, सुहुमेहिं खेलसंचालेहि, सुहुमेहिं दिद्विसंचालेहि।।2।। एवमाइएहिं आगारेहिं, अभग्गो, अविराहिओ, हुज्ज मे काउसग्गो।।3।। जाव अरिहंताणं, भगवंताणं, णमुक्कारेणं न पारेमि।।4।। ताव कायं, ठाणेणं, मोणेणं, झाणेणं, अप्पाणं वोसिरामि।।5।। _ (एक नवकार का कायोत्सर्ग करें। फिर ‘णमो अरिहंताणं' बोलकर दूसरी स्तुति कहें)
सुर नरवर किन्नर, वंदित पद अरविंद कामित भर पूरण अभिनव सुरतरु कन्द। भवियण ने तारे, प्रवहण सम निशदीस चोबीसे जिनवर, प्रणमुं विशवा बीस।।2।।
पुक्खरवरदीवड्डे पुक्खर वरदी वड्डे धायइ संड़े अ जंबूदीवे अ। भरहे रवय विदेहे, धम्माइगरे नमसामि।।1।। तम तिमिर पडल विद्धं, सणस्स सुरगण नरिंद महिअस्स। सीमाधरस्स वंदे, पफ्फोडिअ मोहजालस्स।।2।। जाइ-जरामरण सोग पणासणस्स, कल्लाण पुक्खल विसाल सुहावहस्स। को देवदावण नरिंद गणच्चिअस्स, धम्मस्स सार मुवलज्म करे पमायं।।3।। सिद्धे भो! पयओ णमो जिणमए, नंदि सया संजमे, देवनाग सुवन्न किन्नर गणस्सन्भूअ भावच्चिए। लोगो जत्थ पइट्ठिओ जगमिणं, तेलुक्क मच्चासुरं, धम्मो वडउ सासओ विजयओ धम्मुत्तरं वड्डङ।।4।।
सुअस्स भगवओ करेमि काउस्सग्गं।।1।। वंदण वत्तिआए, पूअण वत्तिआए, सक्कारवत्तिआए, सम्माण वत्तिआए, बोहिलाभ वत्तिआए, निरुवसग्ग वत्तिआए।।2।। सद्धाए, मेहाए, धीइए, धारणाए, अणुप्पेहाए, वड्डमाणीए ठामि काउस्सग्गं।।3।।