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जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...61
क्रम
| जप मन्त्र
साथिया खमा. | कायो. माला | अनन्तानुबंधी-क्रोध जयाय नमः । 2. अप्रत्याख्यानी-क्रोध जयाय नमः 3. प्रत्याख्यानी-क्रोध जयाय नमः 4.| संज्वलन-क्रोध जयाय नमः 5. अनन्तानुबंधी-मान जयाय नमः 6. अप्रत्याख्यानी-मान जयाय नमः 7. प्रत्याख्यानी-मान जयाय नमः
संज्वलन-मान जयाय नमः 9. अनन्तानुबन्धी-माया जयाय नमः 10. अप्रत्याख्यानी-माया जयाय नमः
प्रत्याख्यानी-माया जयाय नमः संज्वलन-माया जयाय नमः
अनन्तानुबन्धी-लोभ जयाय नमः 14. अप्रत्याख्यानी-लोभ जयाय नमः 15. प्रत्याख्यानी-लोभ जयाय नमः 16./ संज्वलन-लोभ जयाय नमः
अथवा सोलह दिन ‘सर्वकषाय जयाय नम:' का जाप करें अथवा चार-चार दिन निम्न अनुसार जाप करें| जप मन्त्र
साथिया | खमा. | कायो. 1. क्रोधजय तपसे नमः 2. मानजय तपसे नमः 3. मायाजय तपसे नमः 4. लोभजय तपसे नमः
माला
27. योगशुद्धि तप
जैन-परम्परा में मन, वचन, काया की शुभाशुभ प्रवृत्ति को योग कहा गया है। यह प्रवृत्ति कार्मण परमाणुओं को आकृष्ट कर उन्हें आत्मप्रदेशों के साथ