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________________ 118... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? • एक्युप्रेशर विज्ञान के अनुसार अंगुलियों के पौरवें मस्तिष्क स्थानीय हैं। इन पर दाब पड़ने से सिरदर्द ठीक होता है तथा मस्तिष्क की क्षमता में वृद्धि होती है। अंगुष्ठ के ऊपरी सिरे का निकटवर्ती स्थान दर्शन एवं चक्षुकेन्द्र जनित है इन पर दबाव पड़ने से पिनीयल एवं पिच्युटरी ग्रन्थियाँ प्रभावित होती हैं जिसके फलस्वरूप शरीर के समग्र तन्त्र संतुलित रहते हैं तथा मैत्री, करूणा, ऋजुता आदि निर्मल विचारों की तरंगे प्रस्फुटित होती हैं। • हिन्दू धर्म में भगवान को भोग चढ़ाते समय और यज्ञ करते समय 'उदान: स्वाहा:' इस शब्द का प्रयोग करते हुए इस मुद्रा से आहूति दी जाती है। 30. समान वायु जीवयुक्त शरीर का सम्यक निर्वहन करने के लिए पंच प्राणों (वायुओं) का महत्त्वपूर्ण स्थान है। इन प्राण तत्त्वों की सम-विषम स्थिति के अनुरूप ही शरीर और चेतना कार्य करती हैं। हमारा शरीर एवं मन पंच प्राणों से प्रभावित होता रहता है। पाँचों प्राणों में अन्तिम प्राण का नाम है समान वायु। समान वायु मुद्रा
SR No.006258
Book TitleAdhunik Chikitsa Me Mudra Prayog Kyo Kab Kaise
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages208
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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