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________________ गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...401 78. पूण मुद्रा यह जापान में 'बोद गस्सहौ' मुद्रा के नाम से प्रसिद्ध है। यह संयुक्त मुद्रा बौद्ध परम्परा में स्वीकृत अंजलि मुद्रा के समान ही है। इस मुद्रा को शुद्धिकरण के उद्देश्य से किया जाता है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि ___ युगल हथेलियों को सटाकर ऊपर की तरफ फैली हुई अंगुलियों और अंगूठों को एक साथ अपने प्रतिरूप का स्पर्श करवायें तथा अनामिका और मध्यमा अंगलियों को हल्के से पृथक करें इस प्रकार पूण मुद्रा होती है।93 पूण मुद्रा सुपरिणाम • जल एवं अग्नि तत्त्व को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा पित्त से उभरने वाली बीमारियों एवं मूत्र-दोष का परिहार करती है तथा गुर्दे को स्वस्थ रखती है। • स्वाधिष्ठान एवं मणिपुर चक्र को प्रभावित कर यह मुद्रा पेट के पर्दे के नीचे स्थित सभी अवयवों का नियमन, शरीरस्थ रक्त, शर्करा, जल, सोडियम आदि का संतुलन एवं क्रोध पर नियंत्रण कर कार्य शक्ति का वर्धन करती है। • स्वास्थ्य एवं तैजस केन्द्र को संतुलित कर शरीर, मन और भावनाओं को स्वस्थ बनाती है तथा क्रोध, ईर्ष्या, घृणा आदि से मुक्त करती है।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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