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________________ 394... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन 71. नन्- कन्- निन्- इन् मुद्रा यह संयुक्त मुद्रा मुश्किल एवं धैर्य की सूचक है। शेष वर्णन पूर्ववत । विधि दोनों हथेलियों को समीप कर अंगूठों को स्पर्शित करते हुए ऊपर उठायें, तर्जनी को पहले दूसरे जोड़ से मोड़कर अंगूठों के पीछे ले जायें, मध्यमा और कनिष्ठिका को ऊपर फैला हुए अपने प्रतिरूप अग्रभाग का स्पर्श करवायें तथा अनामिका अलग-अलग ऊर्ध्व प्रसरित रहें इस प्रकार 'नन्- कन्- निन्- इन्' मुद्रा बनती है 186 नन्- कन्- निन्-इन् मुद्रा सुपरिणाम • इस मुद्रा को धारण करने से आज्ञा, विशुद्धि एवं अनाहत चक्र के स्थान सक्रिय बनते हैं। यह विशिष्ट अतिन्द्रिय शक्तियों को जागृत करती है, अचेतन मन एवं चित्त संस्थान को प्रभावित करती है तथा कलात्मक उमंगे, रसानुभूति और कोमल संवेदनाओं को उत्पन्न करती है । • यह मुद्रा शरीरस्थ आकाश एवं वायु तत्त्व को संतुलित रखते हुए हृदय शुद्धि में सहायक बनती है । • विशुद्धि
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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