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________________ गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ... 351 41. घण्टा वदना मुद्रा धातु का एक यंत्र जो केवल ध्वनि उत्पन्न करता है वह घण्टा कहलाता है। यह दो प्रकार का होता है एक आधे बरतन के आकार का, जिसमें एक लंगर लटकता रहता है और हिलाने से ध्वनि करता है । दूसरा जिसे घड़ियाल कहते हैं, थाली की तरह गोल होता है और मुंगेरी से ठोककर बजाया जाता है। यह मुद्रा प्रथम प्रकार के घण्टे से सम्बन्धित है। विद्वानों के अनुसार यह अभिषेक (एक प्रकार की पूजा) करने की सूचक मुद्रा है। यह पूर्ववत गर्भधातुमण्डल आदि क्रियाओं के समय की जाती है। D विधि घंटा - वदना मुद्रा दाहिना हाथ आगे की ओर, अंगुलियाँ और अंगूठा ऊपर उठे हुए हों। बायाँ हाथ दायें हाथ के कलाई के नीचे के हिस्से को पकड़ा हुआ हो, इस तरह घण्टा वदना मुद्रा बनती है। 44 सुपरिणाम • यह मुद्रा पृथ्वी, जल एवं वायु तत्त्व का संतुलन करती है। इससे शरीर
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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