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________________ 342... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन विधि दायीं हथेली को बाहर की ओर अभिमुख करें, अंगूठे को हथेली में मोड़ें, मध्यमा और अनामिका को अंगूठे के ऊपर मुड़ा हुआ रखें तथा तर्जनी और कनिष्ठिका को ऊर्ध्व में सीधा रखने, 'फुन्नु - केन - इन् मुद्रा बनती है | 36 फुलु-केन-इन् मुद्रा सुपरिणाम • इस मुद्रा का प्रयोग पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्वों के संतुलन के लिए किया जा सकता है। इससे शरीर स्वस्थ, मजबूत, बलशाली, ओजस्वी एवं कान्तियुक्त बनता है तथा स्वाभाविक रूक्षता, मोटापा आदि कम होते हैं। • यह मुद्रा मणिपुर एवं मूलाधार चक्र को प्रभावित करते हुए अग्नि, जल, फॉस्फोरस, रक्त शर्करा का नियमन करती है। तनाव पर नियंत्रण करते हुए कार्य शक्ति का वर्धन एवं यौन हार्मोन का उत्पादन करती है । · एक्युप्रेशर सिद्धान्त के अनुसार यह मुद्रा लीवर, पित्ताशय, रक्त परिसंचरण, रक्तचाप, प्राणवायु, डायबिटीज आदि पर नियंत्रण तथा शारीरिक गर्मी एवं प्रजनन कार्य का संतुलन करती है।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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