SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 328
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 262... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सूत्र मुद्रा और अनामिका को ऊपर में फैलायें । तदनन्तर हाथों को इस प्रकार संयुक्त करें कि प्रसरित अंगुलियों एवं अंगूठों के अग्रभाग परस्पर स्पर्शित हो सकें, इस भाँति सूत्र मुद्रा बनती है।78 सुपरिणाम • वायु तत्त्व को सक्रिय करते हुए यह मुद्रा शरीर के संचालन, हृदय में रुधिराभिसंचरण, श्वसन एवं मल-मूत्र की गति आदि में सहयोग करती है। मानसिक शक्ति, स्मरण शक्ति आदि की क्षमता एवं नजाकत का पोषण करती है। • आज्ञा एवं विशुद्धि चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा वायु तत्त्व, आकाश तत्त्व, कैल्शियम, फेफड़ें, हृदय, शारीरिक तापमान का नियमन करती है। यह शक्ति उत्पादन एवं ज्ञान जागरण में भी सहायक बनती है । • दर्शन एवं विशुद्धि केन्द्र को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा कषाय उपशमन एवं काम वासना पर नियंत्रण कर जीवन को शांत, उदार, निर्मल एवं आनंदमय बनाती है।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy