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________________ जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ... 251 मूलाधार एवं सहस्रार चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा मानसिक संकल्पविकल्पमय अवस्था का निदान कर यथार्थ ज्ञान को प्राप्त करवाती है। इससे शारीरिक आरोग्य, कर्म कौशल्य एवं चैतसिक एकाग्रता संप्राप्त होती है। • पिनियल एवं गोनाड्स के स्राव को संतुलित करते हुए यह मुद्रा कामेच्छाओं पर नियंत्रण निर्णयात्मक शक्ति एवं लेखन, गायन, कवित्व आदि कलाओं को विकसित करती है। 60. सन् - कौ - छौ- इन् मुद्रा यह संयुक्त मुद्रा बुद्ध को नमन करने की सूचक है एवं ध्यान मुद्रा से सम्बन्धित है। इस मुद्रा को गोद में धारण करते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत । विधि अधोमुख बायीं हथेली के ऊपर ऊर्ध्वाभिमुख दायीं हथेली को इस प्रकार रखें कि दायां अंगूठा बायीं कनिष्ठिका का और बायां अंगूठा दायीं कनिष्ठिका का भली भाँति स्पर्श कर सकें, इस तरह 'सन् - कौ - छौ - इन्” मुद्रा बनती है 1 68 सन् -की- छौ- इन् मुद्रा
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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