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________________ 230... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन आंतरिक एवं बाह्य तेजस्विता, वक्तृत्व, कवित्व, इन्द्रिय निग्रह आदि शक्तियों का विकास करती है। • एक्युप्रेशर सिद्धान्त के अनुसार यह शरीर की गर्मी, चर्बी, अत्यधिक संभोगेच्छा, मासिक स्राव आदि को नियंत्रित करती हैं और प्रजनन बाधाओं को भी दूर करती है। 45. किम्यौ-गस्सहौ मुद्रा ___इस मुद्रा के अन्य नामान्तर हैं- कोंगो-गस्सहौ, केंजी-गस्सहौ, अंजलि मुद्रा आदि। यह मुद्रा श्रद्धा, भक्ति, आराधना की सूचक है। विधि दोनों हथेलियों को नमस्कार मुद्रा की भाँति संयुक्त करें तथा दायीं को बायीं मध्यमा पर हल्की सी क्रॉस करते हुए रखने पर किम्यौ-गस्सहौ मद्रा बनती है।49 किम्यौ-गस्सही मुद्रा सुपरिणाम • इस मुद्रा का प्रयोग अग्नि एवं वायु तत्त्व में संतुलन स्थापित करता है। इससे गैस सम्बन्धी विकृतियों का निवारण, मानसिक स्थिरता एवं एकाग्रता का
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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