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________________ जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...203 23. बुद्धाश्रमण मुद्रा इस मुद्रा के दो प्रकारान्तर हैं। प्रथम प्रकार हिन्दू और बौद्ध दोनों परम्पराओं में मान्य है। दूसरा प्रकार जापान और चीन के बौद्ध अनुयायियों द्वारा अपनाया गया है। भारत में इस मुद्रा के दो नाम हैं- 1. बुद्धाश्रमण और 2. परित्राण आशय मति मद्रा। ___तिब्बत में इसे म्यांग-हड्स-फ्यांग-रज्ञ मुद्रा कहते हैं। यह पूर्वजन्म की प्रतीक या सांसारिक आसक्ति को अस्वीकृत करने की सूचक है। विधि दायी हथेली को अधोमुख करते हुए अंगुलियों को मध्यभाग की ओर फैलायें तथा हाथ को शरीर से दूर रखने पर बुद्धाश्रमण मुद्रा बनती है।25 सुपरिणाम बुद्धाश्रमण मुद्रा • अग्नि एवं जल तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा पित्त सम्बन्धी बीमारियों एवं मूत्र दोष का शमन करती है तथा गुर्दै को स्वस्थ बनाती है। .
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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