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________________ 190... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन अभिद-बुत्सु सेप्पी-इन् मुद्रा - 4 का उपशमन करती है। • इस मुद्रा के प्रयोग से आज्ञा एवं सहस्रार चक्र जागृत होते हैं। यह मुद्रा ज्ञान ग्रंथियों को जागृत, बुद्धि को कुशाग्र, मन को एकाग्र एवं विकल्पों को शान्त करती है। इससे असम्प्रज्ञात समाधि की प्राप्ति भी होती है। • ज्ञान एवं दर्शन केन्द्र पर इस मुद्रा का विशेष प्रभाव पड़ता है। इनके जागरण से पूर्व जन्म की स्मृति तरोताजा हो सकती है। 13. अभिद - बुत्सु - सेप्पौ - इन् मुद्रा-5 उपर्युक्त मुद्रा का यह पाँचवाँ प्रकार मध्यम वर्ग के मध्यम जीवन यापन के लिए है। शेष वर्णन पूर्ववत समझें । विधि - इस मुद्रा में अंगूठे का प्रथम पोर मध्यमा के प्रथम पोर से स्पर्श करता है, तर्जनी और अनामिका हथेली की ओर मुड़ी हुई और कनिष्ठिका ऊपर उठी रहती है। सीधे हाथ की अंगुलियाँ ऊपर की ओर तथा बायें हाथ की अंगुलियाँ नीचे की तरफ रहती है। 15
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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