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________________ जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...179 स्मरण शक्ति, देखने-सुनने की शक्ति में वर्धन करती है। इसी के साथ तीव्र परख शक्ति, अथक कार्यशक्ति एवं साहस भी उत्पन्न करती है। 3. अग्निचक्र शमन मुद्रा-1 यह मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित है तथा वहाँ के भक्त या पुजारियों द्वारा धारण की जाती हैं। यह मुद्रा अपने नाम के अनुरूप अग्निचक्र के अधिक उत्तेजित हो जाने पर उसे संतुलित करने के लिए अथवा अग्नि संबंधित किसी देव को शान्त करने के लिए की जाती होगी। विधि दोनों हथेलियाँ ऊपर की ओर प्रसरित, तर्जनी को छोड़कर शेष तीन अंगुलियाँ अंदर की ओर मुड़ी हुई, अंगूठे का अग्रभाग मध्यमा के नीचे के Joint का स्पर्श करता हुआ और तर्जनी अंगूठे के ऊपर मुड़ी हुई रहें तथा हथेलियों की बाह्य किनारियाँ स्पर्श करती हुई रहने पर अग्निचक्र शमन मुद्रा बनती है। . अग्निचक्र शमन मुद्रा-1
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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