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________________ म-म-मडोस सम्बन्धी मुद्राओं का प्रयोग कब और क्यों? ...171 सुपरिणाम • यह मुद्रा वायु एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए मानसिक उग्र भावों को शांत करती है तथा प्राण को स्थिर करती है। • इसके द्वारा अनाहत एवं आज्ञा चक्र जागृत होते हैं जो कि हृदय में सद्गुणों की स्थापना करते हैं। • थायमस एवं पिच्युटरी ग्रंथि को प्रभावित करते हुए यह मुद्रा आन्तरिक हलनचलन, हृदय की धड़कन, मनोवृत्तियाँ आदि को सुस्थिर करती है। 4. सर्व तथागत अवलोकिते मुद्रा बौद्ध परम्परा के अनुयायियों द्वारा आचरित की जाने वाली यह संयुक्त मुद्रा है। इसे छाती के स्तर पर धारण की जाती है। 'म-म-मडोस्' की छ: मुद्राओं में से यह चौथी मुद्रा है। विशेष रूप से यह मुद्रा सफेद टोरमा (पवित्र केक) को अर्पण करने और धागे के क्रॉस को अर्पित करने की सूचक है। इस मुद्रा का प्रयोग वज्रायना देवी तारा की पूजा हेतु किया जाता है। __दोनों हाथों में प्रतिबिम्ब की भाँति मुद्रा बनती है। मुद्रा मन्त्र यह है- 'नमः सर्वतथागता अवलोकिते ओम् संभर संभर हुम्।' D सर्व तथागत अवलोकिते मुद्रा
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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