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________________ x... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन आप इस मार्ग पर बहुत आगे बढ़ चुके हैं। सम्पूर्ण भारत वर्ष में आपकी छवि एक दानवीर श्रावक के रूप में प्रसिद्ध है। आपके परिवार द्वारा अपनी जन्म भूमि मोकलसर से पालीताणा पैदल संघ यात्रा का भव्य आयोजन सहस्राधिक यात्रियों के साथ किया गया। आपके ऊपर लक्ष्मी की वरद कृपा है और आप उसका उपयोग भी मुक्त हस्त से करते हैं। समाज के प्रत्येक कार्य में भी आप सदा आगेवान रहते हैं। आपका भौतिक साधनों से संयुक्त धर्ममय जीवन आज के युवा वर्ग के लिए आदर्श एवं अनुकरणीय है। आपके जीवन के बारे में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि - कुबेर धनवृष्टि करता तुम पर, दुर्गा शक्ति देती हर्षा शारदा की दिव्य कृपा से, बुद्धि की भी है अमी वर्षा गुरुजनों का वरदहस्त है, मात-पिता का मंगल आशीष धर्म ज्योति को जागृत रखते, तेज हृदय में अहर्निश ।। पूज्या शशिप्रभा श्रीजी म.सा. के सन् 2002 के बैंगलोर चातुर्मास के दौरान आपका उनसे आत्मीय परिचय हुआ । साध्वी सौम्यगुणाजी द्वारा करवाए गए सरस्वती अनुष्ठान से आप अत्यन्त प्रभावित हुए एवं तभी से आपका उनके प्रति विशेष लगाव रहा। श्रेष्ठीवर्य्य श्री विजयराजजी डोसी के माध्यम से आपको साध्वीजी के साहित्य के विषय में ज्ञात हुआ तब आपने पुस्तक प्रकाशन की रुचि अभिव्यक की। सज्जनमणि ग्रन्थमाला आपके भावों की अनुमोदना करता है । आप इसी तरह धर्म मार्ग पर गतिशील रहें यही मंगलकामना ।
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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