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________________ 248... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा 9. नागवेलि पत्रद्वय मुद्रा नागवेलि शब्द का संस्कृत रूप नागवल्ली है। नागवल्ली का अर्थ होता है पान अथवा पान की बेल। पत्र अर्थात वृक्ष का पत्ता। यहाँ नागवेलि पत्र से तात्पर्य पान का पत्ता होना चाहिए। इस मुद्रा में हस्तांगलियों की आकृति पान के पत्ते के समान रचित होती है अत: इसका नाम नागवेलि पत्र है। पान का पत्ता शुभ माना जाता है अत: मंगलकारी प्रसंगों में शुभत्व का वातावरण प्रसरित करने के प्रयोजन से यह मुद्रा करते हैं। उपलब्ध प्रति के अनुसार लोक प्रसिद्ध नाम वाली यह मुद्रा सभी वस्तुओं की स्थापना के पश्चात मंगल के लिए और समर्पण के लिए करते हैं। इस मुद्रा का बीज मन्त्र 'उ' है। नागवेलि पत्राद्वय मुद्रा विधि ___ "हस्तद्वयस्यांगुष्ठद्वय योजने तर्जनीद्वयस्य ऊर्ध्व योजने पत्र मुद्रा, नागबेलि पत्रोपरि मध्यमाद्वय योगे ऊर्वीकरणे नागवेलिपत्रद्वय मुद्रा।"
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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