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________________ आचारदिनकर में उल्लिखित मुद्रा विधियों का रहस्यपूर्ण विश्लेषण ...231 23. कल्पवृक्ष मुद्रा तीन लोकों में सर्वोत्तम वृक्ष कल्पवृक्ष कहलाता है। इसे समस्त प्रकार की कामनाओं को पूर्ण करने वाला कहा जाता है। जन-मान्यता है कि इसके समक्ष की गई प्रार्थना निष्फल नहीं जाती इसका नाश कल्पांत तक नहीं होता। जैनागमों के अनुसार प्रत्येक कालखण्ड में जब तक युगलिक काल रहता है तब तक मानव जाति का निर्वाह कल्पवृक्ष द्वारा ही होता है। इसके अतिरिक्त अकर्म भूमियों में रहने वाले मनुष्य भी कल्पवृक्ष के माध्यम से जीवन यापन करते हैं। अकर्म भूमि पर असि, मसि, कृषि का व्यापार नहीं होता, उस भूक्षेत्रीय लोगों की सर्व इच्छाएँ कल्पवृक्ष से पूर्ण होती हैं। कल्पवृक्ष के सम्बन्ध में कुछ भिन्न मान्यताएँ भी हैं। पुराणों के अनुसार यह देवलोक का एक वृक्ष है, जो समुद्र मंथन के समय समुद्र से प्रगट हुआ था और 14 रत्नों में श्रेष्ठ रत्न माना जाता है। इसे इन्द्र को प्रदान कर दिया गया, अत: REA कल्पवृक्ष मुद्रा
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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