SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 284
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 220... जैन मुद्रा योग की वैज्ञानिक एवं आधुनिक समीक्षा शरीर में सबसे बड़ा कारखाना है और यह लगभग 500 प्रकार के विविध कार्यों का सम्पादन करता है। यह मुद्रा जल, पृथ्वी और आकाश तत्त्व को संतुलित रखते हुए विसर्जन, प्रजनन, श्वसन, मस्तिष्क से सम्बन्धित कार्यों को नियमित एवं नियंत्रित रखती हैं। इससे विचारों एवं भावों में स्थिरता, व्यापकता एवं प्रवाह आता है। ___ भौतिक स्तर पर यह मुद्रा कैन्सर, हड्डी की समस्या, कोष्ठबद्धता, सिरदर्द, आर्थराइटिस, मासिक धर्म, प्रजनन अंग, मस्तिष्क आदि से सम्बन्धित समस्याओं का निवारण करती है। • आध्यात्मिक दृष्टि से इस मुद्रा के द्वारा एकाग्रता और ज्ञान पाने की क्षमता का विकास होता है। इस मुद्रा से चैतन्य केन्द्रों का निर्मलीकरण होता है। इसके प्रभाव से पीयूष ग्रन्थि का स्राव नियन्त्रित रहता है। ___ यह मुद्रा स्वाधिष्ठान, मूलाधार एवं आज्ञा चक्र को आन्दोलित करते हुए सकारात्मक ऊर्जा का उत्पादन करती है। तनाव एवं प्रतिकूलताओं से लड़ने की क्षमता उत्पन्न करती है। 17. शाल्मली मुद्रा शाल्मली, यह सेमल नाम से प्रसिद्ध एक वृक्ष का नाम है। यह वृक्ष बहुत घटादार होता है। इसमें बड़े आकार और मोटे दलों के लाल फूल लगते हैं और जिसके फलों में केवल रूई होती है गदा नहीं होता। सेमल की रूई रेशम सी मलायम और चमकीली होती है तथा गद्दा-तकियों में भरने के काम आती है, क्योंकि काती नहीं जा सकती। इसकी लकड़ी पानी में खूब तैरती है और नाव बनाने के काम में आती है। ___आयुर्वेद में सेमल को उपकारी औषधि रूप माना गया है। सेमल के नए पौधे की जड़ अत्यन्त पुष्टिकारक और नपुंसकता को दूर करने वाली मानी जाती है। इस वृक्ष के कांटो में फोड़े, फुसी, घाव आदि दूर करने का गुण होता है। आचार दिनकर में शाल्मली वृक्ष की तुलना सम्यकज्ञान के प्रकाश के साथ की गई है। जिस तरह सेमल वृक्ष व्यापक, बृहद आकार वाला और फूलों से लदा होता है, उसी तरह सम्यक ज्ञान का क्षेत्र अत्यन्त विस्तीर्ण एवं सदगुण रूपी फूलों से समन्वित हैं।
SR No.006254
Book TitleJain Mudra Yog Ki Vaigyanik Evam Adhunik Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages416
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy