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________________ 10...मुद्रा योग एक अनुसंधान संस्कृति के आलोक में मुद्राओं के प्रकार मुद्रा का दायरा अति विस्तृत है जैसे आसनों की संख्या अगणित है वैसे ही मुद्राओं की संख्या भी असीमित है। फिर भी भिन्न-भिन्न प्रयोजनों की अपेक्षा भेद-प्रभेदों की चर्चा निम्नानुसार प्राप्त होती है1. संस्कार सम्बन्धी मुद्राएँ हमारी कुछ मुद्राएँ संस्कारगत होती है। चाहे-अनचाहे परिस्थिति उत्पन्न होते ही व्यक्ति उस मुद्रा में आ जाता है। चिन्ता के बादल मंडराते ही व्यक्ति सहज रूप से चिन्ता मुद्रा में आ जाता है, उसके हाथ अनायास मस्तिष्क या ठुड्डी पर आ जाते हैं और उस मुद्रा को देखकर हर कोई समझ जाता है कि यह चिंताग्रस्त है, तनावों से घिरा हुआ है। किसी प्रश्न का उत्तर स्मृति-पटल पर नहीं आ रहा हो तो व्यक्ति स्वाभाविक रूप से आकाश या छत को निहारने लगता है अथवा चिन्तन मुद्रा में स्थिर हो जाता है। चित्त को स्थिर करते हुए इस मुद्रा से स्मृति को लौटाने की कोशिश करता है और प्रायः स्मृति उभर भी आती है। सर्दी का अनुभव होते ही व्यक्ति उससे अपना बचाव करने के लिए हाथों की मुट्ठियाँ बनाकर कांख में दबा लेता है। इससे सर्दी रूकती भी है क्योंकि हाथों एवं कन्धों द्वारा शारीरिक श्रम होने से शरीर में से उष्णता पैदा होती है वही सर्दी रोकने में माध्यम बनती है। अहंकार या बड़प्पन के भाव जागृत होते ही सीना तन जाता है, शरीर में अकड़पन आ जाता है, उसकी मुखाकृति भी बदल जाती है। इसके विपरीत यदि कोई व्यक्ति दोनों हाथों की मुट्ठी बनाकर दोनों बगलों में रख लें तो भी उसके भीतर से अहं के संस्कार प्रकट होने लगते हैं। पूज्यों के प्रति विनय, समर्पण, आदर या सत्कार के भाव उत्पन्न होते ही उसे अभिव्यक्ति देने के लिए व्यक्ति करबद्ध अंजलि पूर्वक नमस्कार मुद्रा में स्थित हो जाता है। यदि कोई व्यक्ति सहजतया दोनों हाथ जोड़कर नमस्कार मुद्रा में खड़ा होता है तो भी उसमें विनय भावना प्रकट होने लगती है। किसी के प्रति अनुराग का भाव उदित होने पर देखने का नजरिया बदल जाता है। यदि छोटा बच्चा है तो अपना हाथ उसके सिर पर अथवा गाल पर बिना प्रयास के पहुँच जाता है। कदाच समान आयु वाला व्यक्ति हो तो परस्पर
SR No.006252
Book TitleMudra Prayog Ek Anusandhan Sanskriti Ke Aalok Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages164
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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