SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 716
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय-17 उपसंहार जिनमंदिर विषयक विधि-विधानों में प्रतिष्ठा अति महत्त्वपूर्ण विधान है। जिस प्रकार बालक के बिना राजमहल भी सूना प्रतीत होता है वैसे ही परमात्मा से रहित ग्राम, नगर एवं घर भी विरान रेगिस्तान से लगते हैं। प्रतिष्ठा विधान के द्वारा व्यवहार में तो जिनबिम्ब की प्रतिष्ठा होती है किन्तु निश्चय से भक्त के हृदय में जिनेश्वर परमात्मा एवं जिनाज्ञा की स्थापना होती है। प्रश्न हो सकता है कि हृदय में ही यदि परमात्मा की स्थापना कर दी जाए तो फिर जिनालय आदि की क्या आवश्यकता है? मनुष्य के मन को समय से भी अधिक गतिशील माना गया है। मन चंचल घोड़े की भाँति सर्वत्र घूमता रहता है। उसे एक स्थान या एक विषय पर स्थिर करना बड़ा ही दुष्कर कार्य है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य का मन एक विषय पर अन्तर्महर्त से अधिक स्थिर नहीं रह सकता तो फिर बिना किसी आलम्बन के परमात्मा की स्थापना मन में कब तक स्थिर रह सकती है? जिन प्रतिमा द्वारा साधक को आत्मार्थी बनने का श्रेष्ठ आलम्बन प्राप्त होता है तथा एक सकारात्मक ऊर्जा का अनुभव होता है। जिनालय बिजली घर की भाँति शक्ति का संग्रहालय है तथा जिनप्रतिमा उस ऊर्जा का स्रोत। जिस प्रकार स्वीच ऑन करने से बत्ती जलती है, वैसे ही प्रतिष्ठा अनुष्ठान जिनप्रतिमा में दिव्य शक्ति का संचार कर उसे जीव के आध्यात्मिक उत्थान में सहयोगी बनाता है। भक्त और भगवान का सम्बन्ध जोड़ने में प्रतिष्ठा विधान सेतु का काम करता है। ___ द्रव्य आलम्बन के द्वारा अंततोगत्वा मन में भी परमात्मा की स्थापना हो जाती है, परन्तु सर्वप्रथम तो द्रव्य आलम्बन आवश्यक है और जीव को निज स्वरूप का भान करवाने के लिए जिनप्रतिमा श्रेष्ठ आलम्बन है। अतः जिनप्रतिमा एवं जिनालय की बाह्य द्रव्य स्थापना अत्यन्त आवश्यक है। पूर्वाचार्यों द्वारा प्रतिष्ठा की अनेक परिभाषाएँ दी गई हैं। उनके अनुसार मात्र विधिपूर्वक जिनप्रतिमा की स्थापना करना ही प्रतिष्ठा नहीं है। जिनप्रतिमा में
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy