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________________ सम्यक्त्वी देवी-देवताओं का शास्त्रीय स्वरूप ...647 सर्वाह्न यक्ष सर्वाह्न यक्ष की प्रतिमा तीर्थंकर की प्रतिमाओं के साथ ही बनाई जाती है। इसका दूसरा नाम सर्वानुभूति है। इन नाम के देव अकृत्रिम (शाश्वत) चैत्यालयों में रहते हैं। इस भरत क्षेत्र के मन्दिरों में भी इस यक्ष नाम की स्थापना की जाती है। तिलोयपण्णत्ति में भी तत्सम्बन्धी उल्लेख है। इनका स्वरूप कुबेर की भाँति होता है और ये देव हाथी पर आरूढ़ होकर विचरण करते हैं। ये मुख्य रूप से जिनपूजा आदि चैत्य महोत्सवों की रक्षा करते हैं। सर्वाह्न का सामान्य स्वरूप यह हैवर्ण : श्याम वाहन : दिव्य गज भुजा : चार हाथों में दो हाथों से धर्मचक्र को मस्तक पर धारण करते हैं तथा दो हाथ अंजलि बद्ध मुद्रा में है। मणिभद्र देव सामान्यतः क्षेत्रपाल देवों में मणिभद्र देव का समावेश हो जाता है किन्तु जैन शासन के प्रभावक देव के रूप में इनकी विशेष मान्यता है। वर्ण : श्याम वाहन : सप्त सूंड वाला ऐरावत हाथी मुख : वराह । दंत पर : जिन चैत्य धारण भुजा : छह बायीं भुजा : अंकुश, तलवार, शक्ति दायीं भुजा : ढाल, त्रिशूल, माला 10 इस अध्याय में देवी-देवताओं के शास्त्रीय स्वरूप की चर्चा करने के बाद उनका स्पष्ट स्वरूप हमारे सामने रेखांकित हो जाता है। तदनुसार सिद्ध होता है कि 24 तीर्थंकरों के शासन रक्षक देवी-देवता, सोलह विद्या देवियाँ, दश दिक्पाल, नवग्रह, क्षेत्रपाल आदि सम्यक्त्वी हैं। इनकी आराधना या उपासना
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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