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________________ Ixii... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन विशिष्ट निर्देश। ___10. अंजनशलाका विधि का आगमिक स्वरूप • अंजनशलाका का शाब्दिक अर्थ • अंजनशलाका की तात्त्विक परिभाषाएँ . अंजनशलाका की आवश्यकता क्यों? • अंजनशलाका का अधिकारी कौन? • अंजनशलाका कब और कहाँ की जानी चाहिए . अंजनशलाका के समय करने योग्य भावना • अंजनशलाका विधि के लाभ • अंजनविधि की मूल्यवत्ता विविध दृष्टियों से • प्राण प्रतिष्ठा : एक चिन्तन। 11. क्रयाणक अर्पण का ऐतिहासिक स्वरूप 12. मन्त्रन्यास का प्रासंगिक स्वरूप 13. प्रतिष्ठा विषयक शंका-समाधान। अध्याय-14 : प्रतिष्ठा विधानों के अभिप्राय एवं रहस्य 526-555 __1. देवी-देवताओं को फल आदि क्यों चढ़ाए जाते हैं? 2. प्रतिष्ठा के दिनों में सकलीकरण के पश्चात शुचिविद्या आरोपण करने का क्या हेतु है? 3. प्रतिष्ठाचार्य को स्वर्ण मुद्रिका एवं स्वर्ण कंकण पहनकर ही सकलीकरण क्यों करना चाहिए? 4. नूतन बिम्बों को तर्जनी और रौद्र मुद्रा क्यों दिखायी जाती है? 5. नूतन बिम्बों को मुद्गर आदि अन्य मुद्राएँ दिखाने का अभिप्राय क्या है? 6. नूतन बिम्बों के दाहिने हाथ में पंचरत्न की पोटली एवं सफेद सरसों की पोटली क्यों बाँधते हैं? 7. अठारह अभिषेक के दरम्यान गरूड़, मुक्ताशुक्ति एवं परमेष्ठी मुद्राएँ क्यों दिखाते हैं? 8. नूतन बिम्बों को दीपक क्यों दिखाना चाहिए? 9. नूतन बिम्बों के समक्ष स्वर्ण पात्र में ही अर्घ्य का अर्पण क्यों? 10. नूतन बिम्बों का सर्वाङ्ग लेपन क्यों? 11. चल और अचल प्रतिष्ठा का तात्पर्य क्या है? 12. नूतन बिम्बों को अखण्ड लाल वस्त्र से आच्छादित करने का प्रयोजन क्या है? 13. नूतन बिम्बों के आगे घृतपात्र क्यों रखते हैं? 14. नूतन जिनबिम्बों के दाहिने कर्ण में मंत्र क्यों सुनाते हैं? 15. नूतन बिम्बों पर मातृशाटिका (ननिहाल की साड़ी) का आरोपण क्यों करते हैं? 16. नूतन बिम्बों पर प्रौंखण क्रिया क्यों? 17. प्रतिष्ठा कार्यों में उत्तम वस्त्रों का परिधान क्यों? 18. अधिवासना के समय उत्कृष्ट पूजा क्यों? 19. प्रतिष्ठा विधि सम्पन्न होने पर मांगलिक गाथाओं का पाठ क्यों? 20. मुखोद्घाटन किन दृष्टियों से आवश्यक है? 21. न्यास एवं सकलीकरण क्यों किया जाना चाहिए?
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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