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________________ 480... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन कलशारोहण में प्रयुक्त मुद्राएँ- प्रतिष्ठित करने से पूर्व कलश को आचार्य द्वारा मुद्गर मुद्रा एवं स्नात्रकारों द्वारा चक्र मुद्रा दिखायी जाती है। मुद्गर मुद्रा शक्ति का प्रतीक है। मंगल कार्यों में प्रायः विघ्न उपस्थित होने की संभावना बनी रहती है इसलिए बुरी नजर आदि से बचाने के लिए मुद्गर मुद्रा दिखाते हैं। चक्र मुद्रा के द्वारा कलश के आस-पास रक्षा कवच करते हैं जिससे बुरी शक्तियों से उसका संरक्षण हो सके। कलशारोहण के सम्बन्ध में जन धारणाएँ - लोक व्यवहार में कलशारोहण सामाजिक श्रेष्ठता एवं उच्चता का प्रतीक माना जाता है। जो परिवार कलश या ईंडा चढ़ाता है उसे समाज के श्रेष्ठ परिवारों में गिना जाता है। इसी के साथ कलश चढ़ाने वाले को किसी अपेक्षा से सम्पूर्ण मंदिर निर्माण का भी लाभ मिल जाता है। सामान्यतया कलश को मंगल का द्योतक माना गया है। अतः इसे देखकर स्वतः शुभ भाव उत्पन्न होते हैं जो कार्य सिद्धि में सहायक बनते हैं। प्रभातकाल में कलश का दर्शन पूरे दिन को अच्छा बना देता है। कलशारोहण की उपादेयता विविध दृष्टियों से - कलशारोहण की उपादेयता पर यदि विभिन्न पहलुओं से चिंतन करें तो इसके अनेक सुप्रभाव देखे जा सकते हैं। वैयक्तिक दृष्टि से कलश की स्थापना करने पर जीवन में शुभ भावों का ऊर्ध्वारोहण होता है, लोक में प्रसिद्धि बढ़ती है और राशि का सद्व्यय करने से पुण्य की वृद्धि होती है। सामाजिक दृष्टि से सम्पूर्ण संघ को एकत्रित करने का एवं आपसी मतभेद को मिटाने का यह अनुपम प्रयास है। इससे संघ पर आए हुए विघ्नों का नाश होता है। मनोवैज्ञानिक दृष्टि से गुम्बज अर्ध कलशाकार या कलश के ऊपरी भाग के समान होता है। यह हमारी भावनाओं को ब्रह्माण्ड में प्रसरित करता है तथा ब्रह्माण्ड में फैली हुई शुभ शक्तियों को संग्रहित कर गुम्बज के नीचे बैठे साधकों में उनका संचरण करता है। आध्यात्मिक दृष्टि से कलशारोहण आन्तरिक परिणामों को निर्मल बनाता है और वैचारिक प्रदूषणों को दूर करता है ।
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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